सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
मत्स्य पालन की पहाड़ में अपार संभावनाएं हैं और यह आय अर्जन का एक बेहतर साधन है, बशर्ते इसे स्वरोजगार का जरिया बनाकर दृढ़ इच्छाशक्ति से कार्य किया जाए। यह कहना है कि मत्स्य निरीक्षक नीता पांडे का। मत्स्य निरीक्षक नीता ने विकासखंड भैसियाछाना अंतर्गत ग्राम पल्यूं में विभागीय तकनीकी प्रशिक्षण के दौरान यह बात कही।
मत्स्य निरीक्षक ने कहा कि मत्स्य पालन के लिए पर्वतीय क्षेत्रों का वातावरण अनुकूल है। उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल में कई लोगों ने इसे रोजगार के रूप में अपनाकर अपनी आर्थिकी मजबूत की है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण संस्थान की परियोजना वैज्ञानिक दीपा बिष्ट ने ग्रामीणों को पर्वतीय क्षेत्रों में पैदा होने वाली मछलियों, उनमें बीमारी के लक्षणों और बीमारी से बचाव के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए यह व्यवसाय स्वरोजगार के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है। ग्रामीण कुशलता से इस रोजगार को विकसित कर सकें। इसके लिए उन्हें समय समय पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में मत्स्य निरीक्षक आशु उप्रेती, मोहन सिंह, जय प्रकाश भट्ट, दीवान राम, प्रेम राम, दीपक कुमार, कमल पांडे, ललित मिश्रा, इंदर राम, गोविंद सिंह, गोपाल सिंह व आनंद सिंह आदि मौजूद रहे।