नई किरणः अब दुधारू पशु व मिल्क बूथ मिटाएंगे बेरोजगारी
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अल्मोड़ा। लंबे लाॅकडाउन के बाद बढ़ती बेरोजगारी की चिंता अब सरकार को भी सताने लगी है। ऐसे में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने को सरकार चिंतन-मनन में लगी है। परिणामस्वरूप स्वरोजगार की योजनाओं में एक नई पहल सरकार लाई है। इसके जरिये सरकार ने दुग्ध व्यवसाय के माध्यम से रोजगार का सुनहरा अवसर प्रदान किया है। इसका लाभ दूर बड़े शहरों से बेरोजगार होकर घर लौटे प्रवासी उत्तराखंडी उठा सकते हैं। योजना के तहत सैकड़ों लोग इस स्वरोजगार से जुड़ सकेंगे। इसमें ऋण पर सरकार अनुदान देगी।
दरअसल, उत्तराखंड में बेरोजगारी का सिलसिला दशकों से चला आ रहा है, मगर इस बार कोरोना महामारी के चलते बेरोजगारी का दंश का प्रतिशत काफी बढ़ने का अंदेशा पैदा हो गया हैं। वजह ये कि राज्य में पहले ही बेरोजगारों की फौज है, अब लंबे लाॅकडाउन के बाद बड़े शहरों में निजी क्षेत्रों में रोजगार पर लगे हजारों प्रवासी उत्तराखंडी मायूस होकर अपने गांव लौट आए हैं। ऐसे में बेरोजगारी की समस्या में इजाफा हो चला है और यह बात सरकार को भी सताए हुए है। अब सरकार इन बेरोजगारों को रोजगार देने की दिशा में विकल्प तलाश रही है। इन्हीं प्रयासों के तहत प्रवासी उत्तराखंडियों व राज्य के बेरोजगारों को रोजगार देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा एक जून 2020 से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना पूरे प्रदेश में शुरू करने जा रही है। इस योजना के दुग्ध व्यवसाय को भी एक विकल्प बनाते हुए योजना तैयार कर ली गई है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में दुधारू पशु क्रय करने तथा शहरी क्षेत्रों में आंचल मिल्क बूथ स्थापित करने के लिए अनुदान पर ऋण उपलब्ध होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा दुग्ध मंत्री ने प्रदेश के बाहरी राज्यों से आए प्रवासी उत्तराखंडियों व राज्य के बेरोजगार लोगों हेतु कम लागत में स्वरोजगार सृजन की अनूठी पहल राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना तथा गंगा गाय महिला डेरी योजना अंतर्गत की है।
जनपद अल्मोड़ा में योजना के क्रियान्वयन के लिए दुग्ध संघ की बैठक हुई, जिसमें विस्तृत चर्चा हुई। दुग्ध संघ के अध्यक्ष महेंद्र बिष्ट ने बताया कि अल्मोड़ा जिले में योजना के तहत 3 दुधारू पशु क्रय हेतु 128 यूनिट व 5 दुधारू पशु क्रय हेतु 46 यूनिट का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि योजना 1 जून से 15 जुलाई 2020 तक चलायी जा रही है। इसके आवेदन दुग्ध संघ कार्यालय से प्राप्त होंगे। श्री बिष्ट ने बताया कि भविष्य में योजना के सार्थक परिणाम आएंगे और लक्ष्य पूर्ति के लिए संघ के फील्ड स्टाफ को निर्देश दिए हैं। बैठक में बताया गया कि योजना राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम से वित्त पोषित है। जिले में 128 यूनिट के अंतर्गत प्रति यूनिट पशुओं की संख्या 3 होगी और 246500 रूपये की कुल लागत होगी। इसमें 25 प्रतिशत सब्सिडी के तहत 61650 रूपये प्रति यूनिट अनुदान होगा जबकि प्रति यूनिट लाभार्थी का अंशदान 10 प्रतिशत यानी 24650 रूपये होगा। प्रति यूनिट बैंक ऋण की धनराशि 160225 रूपये होगी। 46 यूनिट के तहत पशु संख्या 5 होगी और 407250 रूपये प्रति यूनिट लागत, 101813 रूपये प्रति यूनिट अनुदान राशि , 40725 रूपये प्रति यूनिट लाभार्थी का अंशदान व 264712 रूपये प्रति यूनिट बैंक ऋण होगा। बैठक में सहायक निदेशक डेयरी विकास सुनील अधिकारी, प्रभारी एमआइएस अरूण नगरकोटी, प्रभारी उपार्जन राजेंद्र कांडपाल, पशु चिकित्सक डा0 कीर्ति पंत, प्रभारी वित देवेंद्र वर्मा प्रभारी विपणन बलवंत सिंह आदि उपस्थित थे।