ब्रेकिंग न्यूज : पत्रकार निवास के आंगन में दीवार फांद दाखिल हुए दो गुलदार (Leopards entered the courtyard of journalist’s residence)
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सुयालबाड़ी। यहां बीती शाम करीब 6.30 बजे एक पत्रकार के घर के आंगन में दो गुलदार दीवार फांद भीतर दाखिल हो गये। यह देख घर में मौजूद परिवार के होश फख्ता हो गये।
काफी शोर मचाने के बाद गुलदार जंगल की ओर भाग गये, लेकिन रात आठ बजे पुन: गुलदार वहीं आ धमके और आस—पड़ोसे के तमाम लोगों ने शोर—शराबा कर बड़ी मुश्किल से उन्हें भगाया। यही नहीं कुलगाड़ में गत दिवस गुलदार ने दो बैलों को भी मार डाला, जिससे जहां पशु पालक को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी, वहीं दहशत के मारे ग्रामीणों के बुरे हाल हैं। नवरात्रों के दौरान गुलदारों का आतंक बढ़ने से कई लोग इसे देवी का प्रकोप मानते हुए माता रानी का पूजन कर गुलदारों से बचाने की गुहार लगा रहे हैं। सुयालबाड़ी निवासी पत्रकार अनूप सिंह जीना ने बताया कि उनके आवास से लगे आंगन में बीती शाम करीब 6.30 बजे दो गुलदार दीवार फांद दाखिल हो गये और चहलकदमी करने लगे। जिसे देख उनके व परिवारजनों के होश फख्ता हो गये। हल्ला मचाने के बाद गुलदार जंगल को भाग गये और उन्होंने समझा कि बला अब टल गई, लेकिन रात 8 बजे पुन: गुलदार वहीं आ गये। फिर उनके परिजनों व आस—पड़ोस के लोगो ने बड़ी मुश्किल से शोर—शराबा कर उन्हें भगाया। वहीं कुलगाड़ में बीती रात खीम सिंह भंडारी के दो बैलों को गुलदारों ने मार डाला। जिसके बाद पशु पालक ने वन विभाग में ज्ञापन देकर उन्हें आर्थिक मुआवजा देने व गुलदारों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है। आपको बता दें कि यहां सुयालबाड़ी, सिरसा, ढोकाने, कुलगाड़, छीमी, मटेला, मनरसा, चांपा आदि ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों गुलदारों का आतंक बहुत बड़ गया है। हालत यह है कि शाम अंधेरा होते ही गुलदारों की चहलकदमी शुरू हो जाती है। इनके द्वारा आये दिन पालतू पशुओं को निवाला बनाया जा रहा है। इधर कुछ लोगों का कहना है कि नवरात्रों के दौरान गुलदारों के हमले बढ़ने के पीछे किसी कारणवश देवी मां का प्रकोप हो सकता है। श्रद्धालुजन देवी पूजन के द्वारा गुलदारों के आतंक से उन्हें निजात दिलाने की मांग भी कर रहे हैं। पूछे जाने पर ग्रामीणों का कहना है कि वह आए दिन वन महकमे के जिम्मेदार अधिकारियों से गुलदारों को पकड़ने के लिए पिंजड़ा लगाने की मांग करते—करते थक चुके हैं। इन हालातों में अब माता रानी को पुकारने के सिवा उनके पास कोई अन्य साधन नही रह गया।