सीएनई रिपोर्टर, उत्तराखंड
जब कड़ाके की सर्दी में लोग अपने—अपने घरों में दुबके होंगे, अलाव जला जबरदस्त सर्दी से कुछ राहत देगी, वहीं देवभूमि उत्तराखंड के 11 साधु विश्व प्रसिद्ध बरदीनाथ धाम में तपस्यारत रहेंगे। बकायदा प्रशासन ने इन्हें इसकी अनुमति प्रदान कर दी है।
यकीन करना शायद मुश्किल है लेकिन यह सच है कि बदरीनाथ धाम में इस साल 50 साधुओं ने शीतकाल के दौरान तप की अनुमति हेतु आवेदन किया था, जिसमें जिला प्रशासन ने दस्तावेजों की गहन जांच पड़ताल के बाद 11 साधुओं को बदरीनाथ में प्रवास की अनुमति दी है। यहां यह बताना जरूरी होगा कि बदरीनाथ में शीतकाल के दौरान भारी बर्फबारी का मंजर दिखाई देता है। पूरा क्षेत्र लगभग 5 से 8 फुट बर्फ से ढक जाता है। इस भयंकर ठंड में जीवित रहना बहुत मुश्किल होता है। धाम में कड़ाके की ठंड के बीच आध्यात्म की लौ भी जल उठती है। यह किसी दैवीय चमत्कार से कम नहीं कि प्रति वर्ष यहां साधु-संत प्रशासन से अनुमति लेकर तपस्या करते हैं। इधर उप जिलाधिकारी कुमकुम जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि जांच प्रक्रिया पूरने के बाद ही 11 साधुओं को शीतकाल में बदरीनाथ धाम में शीतकालीन प्रवास और तपस्या की अनुमति प्रदान की गई है। ज्ञात रहे कि बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल में 06 माह के लिए 20 नवंबर की शाम 6:45 बजे विधि-विधान के साथ बंद हो चुके हैं। इस साल 1 लाख 97 हजार 056 तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए हैं। जब बदरनाथ धाम के कपाट बंद हो चुके हैं तो महादेव के पूजन का सौभाग्य मात्र इन 11 साधुओं को मिल पाया है।