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CNE Special: अल्मोड़ा के इस गांव को राष्ट्रीय स्तर पर मिला प्रथम पुरस्कार, जल शक्ति के तहत कार्यों ने छोड़ी छाप


सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार ने अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी ब्लाक की ग्राम पंचायत धसपड़ को राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत की श्रेणी का प्रथम पुरस्कार मिला है। य​ह खुशखबरी तब मिली जब​ नई दिल्ली में आज केन्द्रीय मंत्री (जल शक्ति) गजेन्द्र सिंह शेखावत ने तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2020 की घोषणा की है। (आगे पढ़िये)

उल्लेखनीय है कि ग्रामसभा धसपड़ में विकेन्द्रीकृत जलागम विकास परियोजना (ग्राम्या) के तहत अल्मोड़ा प्रभाग द्वारा जल संवर्धन, संरक्षण एवं संकलन संबंधी कार्य किए गए थे। जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से वैज्ञानिकों का दल ग्राम पंचायत धसपड़ पहुंचा। इस दल में ग्राम्या परियोजना के उप परियोजना निदेशक डा. एसके उपाध्याय, यूनिट अधिकारी मोहन चन्द्र भट्ट समेत ग्राम प्रभारी जीवन सिंह, माधवी मेहरा, एबीएसओ सतीश जोशी व अन्य फील्ड स्टाफ शामिल हुए। वैज्ञानिक दल ने ग्रामवासियों एवं महिला समूहों के साथ सीधा संवाद किया और पूरे गांव में घूम कर परियोजना के तहत किए गए जल संवर्धन, संरक्षण एवं संकलन संबंधी विभिन्न कार्यों को देखा। वैज्ञानिक दल ने तब परियोजना कार्यों को सराहा। जिलाधिकारी अल्मोड़ा वंदना सिंह ने भी ग्राम पंचायत धसपड़ का दौरा कर जल संरक्षण, संभरण जल उपयोग, भूमि, जल संरक्षण एवं वानस्पतिक कार्यों का अवलोकन किया तथा ग्रामवासियों से संवाद किया। जिलाधिकारी ने गांव में हुए बेहतरीन कार्यो को सराहा। इन्हीं बेहतर व प्रेरणादायी कार्यों का प्रतिफल है कि आज गांव को राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार के लिए चुना गया है। (आगे पढ़िये)
इन कार्यों ने दिलाया इनाम

धौलादेवी ब्लाक के ग्राम धसपड़ में ग्राम्या के तहत 11 मध्यम आकार के कच्चे तालाब (810 घनमीटर संचय क्षमता), 43 छोटे तालाब (398 घनमीटर), 2540 खन्तियां (396 घन मीटर), 48 रूफ वाटर हार्वेस्टिंग टैंक (119.6 घनमीटर), 5 सामूहिक सिंचाई टैंक (75 घनमीटर), 01 जियो मैम्ब्रेन टैंक 18 एलडीपीई, 13 वानस्पतिक चैकडैम, 21 ड्राई स्टोन चैकडैम, 27 गेबियन चैकडैम बने हैं। इनके अतिरिक्त गांव की तलहटी में चैकडैम की मदद से जल रोककर 5 अश्व शक्ति के सौर ऊर्जा संचालित वाटर लिफ्ट पंप की सहायता से 118 मीटर ऊपर स्थित टैंक तक पानी लाया गया है। जिसे सिंचाई के लिए एलडीपीई टैंको तक पहुंचाया गया है। इससे करीब 06 हैक्टेअर कृषि का रकबा बढ़ा है।

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