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ब्रेकिंग हल्द्वानी : रानीबाग का पुल बंद,एक छोर पर दर्द से तड़पती गर्भवती-दूसरे छोर पर 108, टैंपू में ही दिया महिला ने दो जुड़वां बच्चों को जन्म

हल्द्वानी। अमृतपुर गांव की एक महिला कल देर रात प्रसव पीड़ा से तड़पती रही लेकिन रानीबाग पुल बंद करके बैठे ठेकेदार ने उसको हल्द्वानी लेकर जा रहे वाहन को पुल पार नहीं करने दिया। पुल के दूसरी ओर आपातकालीन सेवा 108 भी पहुंच गई लेकिन ठेकेदार ने इस एंबुलैंस को भी पुल पार नहीं करने दिया। अंतत: गांव की आशा वर्कर व महिला की सास ने टैंपु में ही महिला का प्रसव करा दिया लेकिन समस्या यहां भी खत्म नहीं हुई दरअसल महिला के गर्भ में दो जुड़वां बच्चे थे। एक को तो आशा वर्कर ने जैसे तैसे जन्म दिलवा दिया लेकिन दूसरे बच्चे के नाम पर उनके हाथ खड़े हो गए। ऐसे में 108 कर्मियों ने पैदल ही पुल पार किया और टैंपु में ही महिला के दूसरे बच्चे को जन्म दिलवाया। आधीरात को महिला व दोनों नवजातों को हल्द्वानी पहुंचाया जा सका। अब तीनों की हालत ठीक हैं। लेकिन ठेकेदार की लापरवाही पर ग्रामीणों की भवें तनी हुई हैं।

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मामला हल्द्वानी के अमृतपुर का है यहां के पूर्व प्रधान सतीश शर्मा के हवाले से दैनिक हिंदुस्तान ने इस खबर को प्रकाशित किया है। खबर मे सतीश शर्मा के हवाले से कहा गया है कि गांव के ही पंकज शर्मा की पत्नी हेमा शर्मा को कल शाम अचानक प्रसव पीड़ा होने लगी। परिजनों ने आशा वर्कर को जानकारी दी तो उन्होंने हेमा को तुरंत हल्द्वानी पहुंचने का निर्णय लिया। हेमा की सास और आशा हेमा के साथ टैंपु में सवार हए। बाकी परिजन अपने अपने वाहनों से टैंपु के पीछे हो लिए। लेकिन तब तक बारिश तेज हो गई थी और रास्ते में मलबा आने लगा था। जैसे तैसे टैंपु रानीबाग पुल पर पहुंचा तो पता चला कि वहां ठेकेदार ने पुल को आवागमन के लिए बंद कर दिया है। पुल पर जाम लग गया था। परिजनों ने ठेकेदार से आपातकाल के लिए पुल को खोलने का आग्रह किया लेकिन ठेकेदार ने पुल खोलने से इंकार कर दिया।

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इस बीच हेमा के परिजनों ने लोक निर्माण विभाग के अफसरों से फोन पर संपर्क किया, प्रशासन को भी घटना की जानकारी दी गई। आपातकालीन सेवा 108 को भी सूचना दे दी गई। प्रशासन से पुल को बंद करने का आदेश जारी किए जाने से इंकार कर दिया। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने भी ऐसा ही जवाब दिया, लेकिन ठेकेदार ने न पुल खोलना था और न ही खोला।
इधर 108 की एंबुलैंस भी पुल के दूसरी ओर आ पहुंची लेकिन ठेकेदार ने उसे भी आगे नहीं जाने दिया। हेमा की पीड़ा बढ़ती जा रही थी। अंतत: हेमा की सास और आशा ने मिलकर ही प्रसव कराने का फैसला किया। लेकिन एक बच्चे का जन्म तो सकुशल हो गया जब दूसरे बच्चे की बारी आई तो उनकी भी सांस फूल गई। इस बीच पुल के दूसरी ओर एंबुलैंस में पहुंची स्वास्थ्य टीम ने पैदल ही पुल पार करके टैंपु में ही दूसरे बच्चे को जन्म देने का निर्णय लिया। टीम पुल के पार पहुंची और जैसे तैसे हेमा के दूसरे जुड़वां बच्चे को जन्म दिलवाया।

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रात लगभग 11 बजे एंबुलैंस हेमा और उनके दोनों बच्चों को लेकर महिला चिकित्सालय हल्द्वानी पहुंचे जहां चिकित्सकों ने उन्हें तुरंत चिकित्सालय मं भर्ती कराया। चिकित्सकों का कहना है कि हेमा की प्री मेच्योर डिलीवरी हुई थी। अब तीनों का स्वास्थ्य ठीक है। लेकिन पुल के ठेकेदार की गैर जिम्मेदाराना हरकत से ग्रामीण सख्त नाराज हैं।

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