हल्द्वानी। आज हम आपके लिए लाए हैं जंगल का ऐसा जीवन जो न सिर्फ भयावाह है बल्कि शक्ति और सामर्थ्य को भी सेल्यूट करता है। यह सभी दृश्य वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार ने अपने कैमरे में कैद किए हैं। रजवार ने इन चित्रों की कहानी अपनी फेसबुक पर भी शेयर की है। शनिवार को रामनगर के टेड़ा गांव के पास लगभग दोपहर साढ़े बारह घटित हुई इस घटना को देखकर आपके भी रोंगेटे खड़े हो सकते हैं।
इसके साथ ही हम प्रस्तुत कर रहे हैं दीप रजवार की आखों देखी और उन्हीं की जुबानी पूरी घटना….
बात कल की है यानी रविवार की जब भरी दोपहरी में क़रीब 12.30 बजे टेड़ा गाँव की तरफ़ उसी बाघिन की टोह लेने गया था क्यूँकि पिछले दो दिनों से टेड़ा नाले के आस पास उसकी गतिविधि नज़र आ रही रही थी और रात्रि में सड़क पर चहलकदमी करती हुई उसकी वीडियो किसी के द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गई थी.. और शनिवार को उस जगह पर मोर और कोव्वों की अलार्म कॉल भी थी हालाँकि थोड़ा इंतज़ार करने के बाद अलार्म कॉल को छोड़ और कुछ खास गतिविधि नज़र नहीं आयी तो मैं वापस लौट गया था..
नाले पर थोड़ा इंतज़ार करने के बाद में टेड़ा चौकी की तरफ़ बढ़ गया तभी वहाँ मेरी मुलाक़ात हमारे बढ़े भाई धस्मना जी से हो गई जो वाइल्ड लाइफ़ के क्षेत्र में काफी अनुभवी हैं। और लम्बे समय से अपनी सेवा इस क्षेत्र में दे रहे हैं..
उन्होंने बताया कल रात पाटकोट जाते वक्त मुझे टेड़ा नाले के पास एक बाघ दिखायी दिया था तो मैंने कहा… हाँ मैंने वीडियो देखी थी ये वही हैं, तीन शावकों वाली बाघिन है जो इस क्षेत्र में काफ़ी समय से दिखायी दे रही है …। फिर वो रामनगर को चले गये और में टेड़ा चौकी से ऊपर को बढ़ गया।
मुश्किल से 5 मिनट हुए होंगे कि उनका फोन आ गया की दीप जल्दी आ जा नाले पर, मैंने अभी उसे सड़क पार करके ऊपर जाते हुए देखा है। तो मैं वहीं से गाड़ी घुमाकर जल्दी से वहीं पहुँच गया, तो उन्होंने बताया की वो ऊपर की तरफ़ गयी है। और वो बोले मुझे इतना अनुभव नहीं है यहाँ का… पर वो बड़ी जल्दी में थी। मैं बोला… कहीं उसने कोई मवेशी तो नहीं मार दिया और वो अपने शावकों को लेने गई हो। तो वो बोले दीप मवेशी तो वहीं पर चर रहे हैं तो में बोला वहीं चलो कुछ गड़बड़ है और हम भाग के वहीं पर आ गये। गाड़ी लगा के खड़े हो गये इस बीच कुछ परिचित भी आ गये, हम आपस में वार्तालाप करने लग गये तभी मुझे बाघिन दिखी सड़क पर…
तो में बोला आ गई पर हमारे कैमरा निकालने तक वो आँखो से ओझल हो गई, वो फिर दिखी झाड़ियों के बीच से अपना सिर ऊपर निकाल के वो मवेशियों के झुंड को देख रही रही थी। सारा माजरा समझ में आ गया था कि वो उनका शिकार करने की ताक में थी और सही मौक़े के इंतज़ार में थी। वो फिर से ओझल हो गई थी तभी झाड़ियाँ हिलीं और बिजली की तेज़ी से ऐसा कुछ घटित हुआ कि दिमाग़ को भी समझने में देर लग गई। जब तक दिमाग़ प्रतिक्रिया करता तब तक बाघिन ने अपने तीन शावकों के साथ एक मवेशी पर घातक हमला कर दिया था…। ? न्यूज़ व्हाट्सएप ग्रुप click now ?
बाघिन ने मोर्चा सम्भाला और बाक़ी तीन शावक भाग के जंगल में ग़ायब हो गये। हमला इतनी तेज़ी से हुआ था की मेरे कैमरा उठाने से लेकर फ़ोकस करने तक दो शावक ग़ायब हो चुके थे, पर मैं माँ और तीसरे शावक को एक साथ क़ैद करने में सफल रहा… बाघिन मवेशी पर झपटी, मवेशी भी अपने बचाव में उसे अपने सींगो से मारने का असफल प्रयास कर रही थी। पर वो उससे कहाँ पार पा पाती। आख़िरकार बाघिन ने उसका गला पकड़ लिया और पूरी ताक़त से उसकी गर्दन तोड़ दी। इसी बीच झुंड के और मवेशियों ने उसे बचाने का प्रयास किया पर डर के मारे वो सब वहाँ से भाग लिये।
मुख्य सड़क और ऊपर से छुट्टी का दिन… तो काफ़ी भीड़ भाड़ हो गई थी। इसलिए घबराकर बाघिन उसे वहीं अधमरा छोड़ बिजली की फुर्ती से छलांग लगाती हुई जंगल के अंदर ओझल हो गई… पर वो अपना काम कर गई थी और मवेशी अपनी आँखिरी साँस गिन रही थी। पूरा घटनाक्रम केवल 2 मिनट का रहा और इन दो मिनट में वो अपना काम करके ग़ायब भी हो चुकी थी…
पूरे 10—15 दिनों की शांति के बाद उसने फिर से किसी मवेशी को अपना निवाला बनाया है…
मामला मुख्य सड़क का होने की वजह से सुरक्षा के तहत वहाँ पर वन कर्मियों की गश्त शुरू हो चुकी थी.. शाम तक इंतज़ार करने के बाद भी वो वापस अपने शिकार को लेने नहीं आयी और प्राप्त जानकारी के अनुसार रात्रि में वो अपने शिकार को घसीट के अंदर जंगल में ले गई..
इस साइटिंग का पूरा श्रेय गिरीश धस्माना जी को जाता है जिनकी वजह से में इस दुर्लभ घटना को अपने कैमरे में क़ैद कर पाया…
मैं जानता हूँ इन तस्वीरों को देखकर मन विचलित हो सकता है पर एक वाइल्डलाइफ़ फोटोग्राफर होने की वजह से ये मेरा फ़र्ज़ बनता है कि में प्रकर्ति के हर रंग को आप लोगों के सम्मुख पेश करूँ।।.
सावधानी बरतें और सुरक्षित रहें….