🔥 मौसम विभाग ने आज जारी किया बड़ा अपडेट
Monsoon 2024 Update मानसून पर जारी हुआ अपडेट : मौसम विभाग ने मानसून को लेकर नया और बड़ा अपडेट जारी कर दिया है। India Meteorological Department (IMD) ने आज एक खास रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कहा गया है कि भारत में इस साल मानसून सीजन में सामान्य से काफी अधिक बारिश की संभावना है। अगस्त से सितंबर तक ला नीना la niña के हालात बन सकते हैं।
बारिश को लेकर यह है अनुमान
आईएमडी रिपोर्ट के अनुसार भारत में आने वाले 04 माह विशेष रहेंगे। इस दौरान मानसून सीजन यानी जून से सितंबर तक सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। औसतन 87 सेमी यानी 106 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
क्या कहते हैं मौसम विज्ञानी !
जलवायु विशेषज्ञों व मौसम विज्ञानियों का कहना है कि पारिस्थितिक तंत्र में आ रहे निरंतर बदलावों से बारिश के दिनों की संख्या घट रही है। जिसका अर्थ यह है कि अचानक भारी से बहुत अधिक भारी बारिश की घटनाएं बादल फटने के रूप में सामने आ रही हैं। जिससे कई बार सूखा तो कई बार बाढ़ की स्थिति पैदा हो रही है।
महापात्र ने कही यह बात
India Meteorological Department के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि साल 1951 से 2023 के बीच के आंकड़ों के आधार पर, भारत में मानसून के मौसम में 09 मौकों पर सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। यह तब हुआ जब—जब ला नीना के बाद अल नीनो घटनाएं हुई। उन्होंने आगे कहा कि ला नीना प्रभाव के चलते ऐसा पूर्व में भी हुआ था।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का आया बयान
Ministry of Earth Sciences के सचिव एम रविचंद्रन ने जून से सितंबर तक सामान्य से ज्यादा बारिश होगी और यह 106 प्रतिशत तक होगी। उन्होंने कहा कि एक लंबे अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट सार्वजनिक की जा रही है।
अल नीनो पर हावी होने जा रहा ला नीना
मौसम विज्ञानियों के अनुसार भारत में फिलहाल अल नीनो का प्रभाव है। जिसके चलते लोग बारिश को तरस रहे हैं। अगस्त माह के बाद सितंबर तक ला नीना हावी हो जायेगा।उत्तरी गोलार्द्ध में बर्फबारी कम होना भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून के पक्ष में है। अल नीनो प्रभाव के चलते साल 2023 में भारत में 820 मिमी बारिश हुई थी, जो कि सामान्य से कम थी। यह दीर्घ अवधि के औसत 868.6 मिमी से भी कम थी। साल 2023 से पहले चार वर्षों में मानसून के दौरान भारत में सामान्य और सामान्य से बेहतर बारिश दर्ज की गई थी।
ला नीना और अल नीनो के यह होंगे प्रभाव
बता दें कि अल नीनो प्रभाव में मध्य Pacific Ocean की सतह का पानी गर्म होता है। जिससे मानसूनी हवाएं कमजोर होती हैं और भारत में सूखे के हालात पैदा होते हैं। वहीं, la niña के प्रभाव में पूर्व से पश्चिम की तरफ हवाएं तेज हो जाती हैं। जिससे समुद्र की सतह का गर्म पानी पश्चिम की तरफ चला जाता है। इसके चलते समुद्र का ठंडा पानी ऊपर सतह पर आ जाता है। जिस कारण पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक ठंडा हो जाता है।
दक्षिण पश्चिमी मानसून का क्या रहता है असर
जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में 70 फीसदी बारिश south west monsoon के चलते ही होती है। उनका कहना है कि मानसूनी बारिश देश के कृषि क्षेत्र के लिए बहुत जरूरी है। भारत की कुल जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 14 प्रतिशत है। अतएव स्पष्ट है कि अच्छा मानसून देश की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत होगा। हालांकि इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि सामान्य से अधिक बारिश कई बार मुसीबत का कारण भी बन जाती है। खास तौर पर उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों पर इसका नकारात्मक असर प्रति वर्ष देखने में आता है।