Someshwar News: सड़कों की सच्चाई जाननी है, तो कीजिए अल्मोड़ा से प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कौसानी तक सफर, बरसात ने खोल दी चौकस सड़कों के दावों की सच्चाई

दिनकर प्रकाश जोशी, सोमेश्वर एक ओर विकास और सुविधाओं के दावे और दूसरी ओर इन दावों की सरेआम हवा निकालते नमूने। पर्यटन विकास के एक…

दिनकर प्रकाश जोशी, सोमेश्वर


एक ओर विकास और सुविधाओं के दावे और दूसरी ओर इन दावों की सरेआम हवा निकालते नमूने। पर्यटन विकास के एक के बाद एक दावे। इन दावों की सच्चाई सामने ला रही है अल्मोड़ा से प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कौसानी जाने वाली सड़क। सड़क की दुर्दशा की कलई इस बारिश ने खोलकर रख दी है।
हर बार सड़कों के नाम पर करोड़ों रुपये खर्चने के बाद सड़कों का हाल बुरा होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। जब पर्यटन स्थलों को जाने वाली प्रमुख सड़कों की ये दशा है तो अन्य सड़कों की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। सड़कों का सच अल्मोड़ा से कौसानी तक सफर करने से मालूम पड़ जाता है। जिसमें कोई सबूत की जरूरत नहीं होती। जगह—जगह सड़क पर बड़े—बड़े गड्ढे बरसात में तलैया बने हुए हैं। सड़कों पर बरसात में बने तालाब चौकस सड़कों के दावों की सच्चाई बयां कर रहे हैं। विभाग ने डामरीकरण की नितांत जरूरत को दरकिनार कर जगह—जगह मिट्टी के पैच भरकर जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली। अल्मोड़ा से लेकर कोसी, महतगांव, इटोला, भगतोला, ग्वालाकोट, मनान, रनमन, सोमेश्वर, चनोदा, कौसानी में ना जाने कितनी जगह डामर उखड़ा है और गढ्ढे बने हैं। इसके अलावा कई सड़क किनारे नालियों का पता ही नहीं है। जिससे बरसात का सारा पानी नाला बनकर सड़क पर बहता है। इन सड़कों में बिना हिचकोले खाए गुजरना नामुमकिन है। इतना ही नहीं बरसात में सड़कों पर तालाब बन रहे हैं, तो धूप में बिना धूल फांके सड़कों से गुजरना सपना है। हद तो ये है कि इस सबके बावजूद लोक निर्माण विभाग मूकदर्शक बना है। अब देखना ये है कि उसे अपनी सड़कों की हिफाजत का ख्याल कब आता है।

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