सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
कोरोनाकाल में विभिन्न माध्यमों से जनपद पुलिस की मीडिया सैल लोगों को जागरूक कर रही है, वहीं फरियादियों का दुखड़ा सुनकर उनकी मदद के लिए द्वार खोल रही है। इसका ताजा उदाहरण ये है कि देहरादून, बरेली व हल्द्वानी से दवा मंगाकर पुलिस ने फरियादियों के दूर स्थित गांव तक पहुंचाई। जिससे मुश्किल में फंसे फरियादियों को पुलिस के ‘मिशन हौसला’ ने बड़ी राहत पहुंचाई।
हुआ यूं कि अल्मोड़ा पुलिस के मीडिया सैल को अलग—अलग जगहों से पंकज, राहुल एवं सिद्धार्थ नामक तीन फरियादियों ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए बताया कि उन्हें उनकी जीवन रक्षक अति आवश्यक दवाइयां कोविड कर्फ्यू के कारण उपलब्ध नहीं हो पा रही है और न ही वे दूर से इन्हें ला सकते हैं। फिर क्या था ‘मिशन हौसला’ की कृपादृष्टि शुरू हुई। मीडिया सैल की हेमा ऐठानी ने फरियादियों से दवा के संबंध में बात की और डाक्टर का पर्चा मंगवाया। उन्होंने यह दवाईयों स्थानीय बाजार से नहीं बल्कि बरेली के खुशलोक अस्पताल, सीएमआई अस्पताल देहरादून एवं हल्द्वानी से मंगवाई।
अल्मोड़ा में कोरोना की रफ्तार में लगा ब्रेक, आज मात्र 11 नए संक्रमित
इसके बाद एक फरियादी की दवा थाना सोमेश्वर भिजवाई। जो थानाध्यक्ष सोमेश्वर राजेन्द्र बिष्ट द्वारा पंकज लोहनी तक पहुंचाई गई। इसे पहुंचाने के लिए सोमेश्वर थाना पुलिस सड़क से 5 किमी दूर पैदल पहुंची। इसके अलावा राहुल नामक फरियादी की दवा पुलिस सोमेश्वर क्षेत्र के अधूरिया गांव जाकर सुुपुर्द करके आई। तीसरे फरियादी सिद्धार्थ जोशी की न्यूरो संबंधी दवाईयां कांस्टेबल महेन्द्र एवं हेमन्त कुुमार फरियादी के घर पर उपलब्ध कराकर आई। इतना ही नहीं “मिशन हौसला” के तहत भविष्य में भी उन्हें पूर्ण मदद का भरोसा दिया। सभी फरियादियों ने मिशन हौसला की प्रशंसा करते हुए पुलिस का आभार व्यक्त किया।
उत्तराखंड ब्रेकिंग : कोरोना की स्थिति में सुधार, आज मिले 2071 नए केस, 7051 मरीज हुए डिस्चार्ज
उत्तराखंड में सख्त हुए कोरोना कर्फ्यू के नियम, विस्तार से पढ़े Full SOP
Uttarakhand : महिला जिसे समझ रही थी रिश्ते का भाई, वह साइबर ठग निकला, खाते से साफ हुए 70 हजार
मिशन हौसला को प्रणाम ! मेरा एक सुझाव है ! वैसे तो यह रानीखेत के लिए है, परन्तु एक प्रकार से यह हर जगह की समस्या है ! यदि किसी व्यक्ति को कोई छोटी मोटी शाररिक समस्या हो तो वह अस्पताल नहीं जाना जाता ! क्योंकि वहाँ कोरोना का खौफ है ! हलकी फुलकी चोट लगने पर या वह अपना ब्लड प्रेशर जानने , कोई व्यवस्था नहीं है !
यह समस्या मेरे जैसे 82 साल के सुपर सीनियर सिटीजन की भी है ! अतः बूजुर्गों हेतु व अन्य लोगों के के लिए भी छोटी मोटी स्वास्थ्य सुविधा देने के विषय मैं सोचा जाय ! धन्यवाद !!