RANIKHET NEWS: राज्य में सशक्त राजनैतिक विकल्प जरुरी-ऐरी; भिकियासैंण में उक्रांद के सम्मेलन में जनसमस्याओं को लेकर लड़ाई लड़ने पर बनी एकराय

CNE REPORTER; RANIKHETभिकियासैंण, चैखुटिया, सल्ट व स्याल्दे क्षेत्र के उक्रांद कार्यकर्ताओं का भिकियासैंण में आयोजित सम्मेलन में उत्तराखंड में भाजपा व कांग्रेस के समक्ष एक…

CNE REPORTER; RANIKHET
भिकियासैंण, चैखुटिया, सल्ट व स्याल्दे क्षेत्र के उक्रांद कार्यकर्ताओं का भिकियासैंण में आयोजित सम्मेलन में उत्तराखंड में भाजपा व कांग्रेस के समक्ष एक सशक्त राजनैतिक विकल्प खड़ा करने पर खासा जोर दिया। वहीं उक्रांद को शिथिलता से बाहर निकालकर जनससमस्याओं के लिए बड़ी लड़ाई के लिए तैयार करने की आवश्यकता महसूस की गई।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उक्रांद के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस ने बारी-बारी से राज्य में सत्ता संभाली, लेकिन जनता की बुनियादी जरूरतों की हमेशा अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि जो जनसमस्याएं यूपी के जमाने से विरासत में मिली थी, वह या तो अपनी जगह पर हैं या फिर बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि उक्रांद ने लम्बी लड़ाई के बाद केन्द्र सरकार को राज्य बनाने के लिए विवश किया। अब इन समस्याओं के लिए लड़ाई लड़ने की जिम्मेदारी भी उक्रांद के ऊपर है। उन्होंने कहा कि उक्रांद को भाजपा और कांग्रेस के लिए एक सशक्त विकल्प के रूप में खड़ा करने की आवश्यकता है।
सम्मेलन में वक्ताओं ने दल को दुविधा और शिथिलता से बाहर निकालने पर जोर देते हुए जनता के बुनियादी सवालों को उठाने की खासी जरूरत बताई। वक्ताओं ने कहा कि पलायन, वन्य जीवों की समस्या, रोजगार, स्थायी राजधानी और यूपी के साथ परिसम्पतियों के बंटवारे की अड़चनों को समय रहते दूर नहीं किया गया, तो एक दिन पहाड़ पूरी तरह से खाली हो जायेगा।
तमाम वक्ताओं ने उत्तराखंड और खासकर पर्वतीय इलाकों के बुनियादी सवालों को लेकर राष्ट्रीय दलों के रवैए की कड़ी आलोचना की और कहा कि मौजूदा सरकार ने पहाड़ की जमीनों को लुटाने के कानूनी छूट दे दी है। पहाड़ के किसानों को यहां से बेदखल करने का कुचक्र रचा जा रहा है। वन्य जीवों के कारण लोग खेती छोड़कर पलायन कर रहे हैं और तराई तथा महानगरों में मजदूरी करने को विवश हो गये हैं। सरकारी योजनाओं में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का बोलबाला बढ़ रहा है। खनन और शराब के कारोबार को सरकार अपनी बड़ी कामयाबी मान रही है। वक्ताओं ने कहा कि बीस साल में भी यूपी के साथ परिसम्पतियों का बंटवारा नहीं हो सका है। उत्तराखंड एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां दो-दो राजधानियां हैं।
इस मौके पर दल की लचर राजनीतिक रणनीति और संगठनात्मक शिथिलता पर गहरी चिंता जताई गई। वक्ताओं ने उत्तराखंड की आम जनता के हित में उक्रांद को आंदोलनकारी तेवरों के साथ आम जनता के बीच ले जाने पर जोर दिया। युवा कार्यकर्ताओं ने अतीत की ढिलाई को त्याग कर उक्रांद को सशक्त बनाने पर जोर दिया। सम्मेलन में पूर्व अध्यक्ष पुष्पेश त्रिपाठी, पान सिंह रावत, रणजीत गडकोटी, भानु जोशी, राकेश नाथ, पुष्कर पाल सिंह, कांता रावत, कमलेश जोशी, मदन कठायत, तुला सिंह तड़ियाल, प्रयाग शर्मा, मीना सतबोला, लक्ष्मी बिष्ट, प्रभा देवी, संतोष सत्यवली, रीना देवी समेत भारी संख्या में लोग उपस्थित थे। इससे पूर्व कार्यकर्ताओं ने बाजार में रैली निकाली।

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