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ब्रेकिंग न्यूज: मनमाफिक खर्च करने वाले साहबों पर मितव्ययता का बज्रपात, सरपल्स स्टाफ अन्य विभागों में होगा समायोजित…पढ़ें और किस किस खर्चे पर लगी रोक


देहरादून। अब तक सुविधानुसार नौकरियां और आंख मूंद कर खर्च करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए कोरोना संकट बुरी खबर लेकर आया है। कोरोना संकट को टालने में सरकारी खजाना खाली हो जाने के बाद शासन ने अब मितव्ययता की नई गाइड लाइन जारी कर दी है। यह गाईड लाइन अब तक सरकारी धन का दिल खोल कर खर्च कर रहे अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा माननीयों के लिए भी किसी वज्रपात से कम नहीं है।
सरकार के मुख्य सचिव उत्पल कुमार के हस्ताक्षरों से जारी नए आदेश में 22 प्वाइटों में मितव्ययता पर लगाम लगाने का प्रयास किया गया है। सबसे पहले प्वाईंट में कहा गया है कि कार्यालयों के कंप्यूटरीकृत किए जाने कि बाद मैनपावर का उपयोग कम हो गया है। अब जब प्रदेश आर्थिक संकट के दौर से गुजरने जा रहा है ऐसे में उन तमाम पदों को समाप्त करने का निर्णय सरकार ने ले निया है जिनका अब कोई उपोग नहीं रह गया है। ऐसे कर्मचारियों व अधिकारियों को अन्य विभागों व पदों पर समायोजित किया जाएगा। आदेश में साफ कर दिया गया है कि अब कोई वेतन उच्चीकरण नहीं किया जाएगा। इसके अलावा पुलिस व स्वास्थ्य विभाग को छोड़कर किसी भी अन्य विभाग में कोई नया पद सृजित न किया जाए। इसके अलावा नियम वेतनमान, दैनिक वेतन और संविदा के आधार पर होने वाली नियुक्तियों पर भी रोक लगा दी गई है। यदि आवश्यक हो तो आउट सोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारी रखे जाएगें।
विभागों में अध्यक्ष, सलाहकार, उपाध्यक्ष व नामित सदस्यों को रखने की पुरानी राजनीतिक परिपाटी के माध्यम से सुविधाएं हासिल करने वाले नेताओं के लिए भी आदोश में बुरी खबर है। अब इन माननीयों के लिए किसी प्रकार का सहयोगी स्टाफ भर्ती नहीं किया जा सकेगा। आवश्यक होने पर सरप्लस स्टाफ या आउट सोर्सिंग के माध्यम से इस आवश्यकता को पूरा किया जाएगा।
आदेश में कहा गया है कि प्रदेश में चल रही योजनाओं की समय—समय पर समीक्षा की जाए और अनुपयोगी योजनाओं को तुरंत बंद कर दिया जाए। केंद्र व राज्य सरकार से वित्त पोषित योजनाओं के अधिकारियों को भत्ते राज्य सरकार द्वारा घोषित नियमानुसार ही मिलेंगे। अतिश्रकत भत्ते देने के सभी प्रस्ताव खारिज हो जाएंगे।
आदेश के अनुसार राजकीय स्कूलों में निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए उच्च गुणवत्तापरक शिक्षा देने के लिए समस समय पर अध्यापकों के कार्यां की समीक्षा की जाए। व सरपल्स स्टाफ को दूसरे स्कूलों में समायोजित किया जाए। शासकीय कार्यों के लिए यात्रा करने वाले अधिकारियों को आवश्यक होने पर ही यात्रा की अनुमति दी जाएगी। और पात्रता श्रेणी के अधिकारियों को इकानोमी क्लास में ही यात्रा करने की इजाजत होगी। आदेश के अनुसार अब प्रदेश में विभागों के अतिगृह नहीं खुलेंगे। यही नहीं मुख्यालयों पर नए कार्यालयों का निर्माण भी नहीं होगा। जो सरकारी निर्माण कार्य चल रहे हैं उन्हं जल्दी से जल्दी पूरा करके भवनों को उपयोग में लाया जाएगा। नए अधिकारी के आने परप कार्यालय को उसके अनुसार सुसज्जित करने की परंपरा पर भी वार कर दिया गया है। अब पदधारक बदलने पर कार्यालय कसे सजाने के लिए किया जाने वाला खचा फिजूल खर्ची ही माना जाएगा।
आदेश के अनुसार सुरक्षा संबंधी कारणों को छोड़कर सरकारी विभागों में नए वाहनों नहीं खरीदे जाएंगे। हां यदि आवश्यक होगा तो विभाग पंजीकृत टैक्सी किराए पर लगा सकते हैं लेकिन यहा यह सुनिश्चित करना होगा कि वह पंजीकृत टैक्सी ही होगी न कि निजी कार।
निजी होटलों में सम्मेलन, सेमीनार व बैठकें अब नहीं हो सकेंगगी इन कार्यों के लिए सरकारी भवनों का उपयोग किया जाएगा। राजकीय भोजन अब फाइव स्टार होटलों में आयोजित नहीं किए जा सकेंगे। स्टेशनरी पर होने वाला खर्च भी अब मितव्ययता के आधार पर ही होगा। वित्तीय वर्ष के अंतिम महीनों पर उपकरणों की खरीद पर रोक लगा दी गई है।
नव वर्ष पर विभागों द्वारा छापी जाने वाली डायरियां, कलैंडर व शुभकामना संदेश वाले कार्ड भी अब नहीं छापे जाएंगे। प्रशिक्षण के लिए प्रदेश सरकार के खर्चे पर अब अधिकारी विदेश यात्राएं भी नहीं कर सकेंगे।

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