सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा द्वारा कर्मयोगी सोबन सिंह जीना की 112वीं जयंती समारोहपूर्वक मनाई। इस मौके पर एसएसजे कैंपस अल्मोड़ा के गणित विभाग के सभागार में ‘कर्मयोगी महापुरुष सोबन सिंह जीनाः व्यक्तित्व एवं कृतित्व’ विषयक व्याख्यानमाला आयोजित हुई।
सर्वप्रथम व्याख्यामाला के मुख्य अतिथि विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान, अध्यक्ष सोबन सिंह जीना विवि के कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी, विशिष्ट अतिथि पद्मश्री डाॅ. ललित पांडे, मुख्य वक्ता उत्तराखंड अधिवक्ता महासंघ के अध्यक्ष गोविंद सिंह भंडारी, एसएसजे परिसर निदेशक प्रो. नीरज तिवारी, संयोजक प्रो. वीडीएस नेगी, आयोजक सचिव डाॅ. पारूल सक्सेना ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित किया और सरस्वती एवं सोबन सिंह जीना के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। इसके बाद योग विभाग की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना व स्वागत गीत से समारोह शुरू हुआ।
मुख्य अतिथि एवं विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि संस्मरण सुनाते हुए पर्वतीय विकास की अवधारणा को लेकर स्व. जीना योगदान नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने देश के बड़े नेताओं को पृथक राज्य की स्थापना को लेकर दबाव बनाया था। उन्होंने कहा कि अब इस राज्य में स्व. जीना का स्वप्न साकार करने की आवश्यकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्व. जीना के नाम पर बना विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाएगा। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के उन्नयन के लिए धन अवमुक्त शीघ्र किया जाएगा।
विशिष्ट अतिथि सेवानिध के निदेशक पद्मश्री डाॅ. ललित पांडे ने कहा कि स्व. जीना के व्यक्तित्व पर व्याख्यानमाला आयोजित कराना सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय परिसर सबसे पुराना है और इसे बनाने जिन लोगों का योगदान रहा, उनका यहां सूचनापट स्थापित किया जाना चाहिए। साथ ही अल्मोड़ा में समय—समय पर आए लोगों का यहां योगदान का उल्लेख होना चाहिए, ताकि सही तथ्यों को लोग पहचान सकें।
मुख्य वक्ता गोविंद सिंह भंडारी ने अपने संबोधन में कहा कि स्व. सोबन सिंह जीना उत्तराखंड की महान विभूति हैं। उन्होंने शिक्षा को लेकर स्मरणीय कार्य किया है। इस राज्य के निर्माण में उनकी भूमिका उत्कृष्ट है। जीना जी के संस्मरणों पर प्रकाश डालते उन्होंने कहा कि उनके विरोधी भी उनको मानते थे। उनका व्यक्तित्व राजनीति से कहीं ऊपर है। उन्होंने कहा स्व. सोबन सिंह जीना के सम्मान में गैरसैण को स्थायी राजधानी घोषित किया जाना चाहिए, तभी उनका सपना साकार होगा। उन्होंने आशा की कि उनके नाम पर बना यह विश्वविद्यालय विश्व में ख्याति प्राप्त करेगा। साथ ही कुलपति प्रो. भंडारी से स्व. जीना के कद के अनुरूप विश्वविद्यालय को स्थापित करने का अनुरोध किया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा के जरिये स्व. सोबन सिंह जीना के स्वप्नों के अनुरूप कार्य करेगा और सुनोली गांव को आदर्श गांव बनाने का पूरा प्रयास होगा। उन्होंने कहा कि सुझावों पर भी अमल होगा और अपनी सांस्कृतिक पहचान को स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के उन्नयन के लिए हर शिक्षक का सहयोग लेकर विश्वविद्यालय की नींव को मजबूत करेंगे। साथ परंपरागत विषयों के साथ नए रोजगारपरक विषयों का संचालन कर शिक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास होगा।
इनसे पहले परिसर निदेशक प्रो. नीरज तिवारी ने अतिथियों का स्वागत किया जबकि समारोह के संयोजक प्रो. वीडीएस नेगी ने कार्यक्रम की विस्तार से रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने स्व. जीना को याद करते हुए कहा कि प्रतिवर्ष 3 अगस्त को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय द्वारा जयंती मनाए जाने के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि स्व. सोबन सिंह जीना इस उत्तराखंड की पहचान हैं। उनको विश्वविद्यालय द्वारा स्मरण किया जाना हर्ष का विषय है। अंत में सह संयोजिका डॉ. पारुल सक्सेना ने सभी का आभार व्यक्त किया। व्याख्यानमाला का संचालन डॉ. चंद्रप्रकाश फुलोरिया ने किया।
समारोह में विश्वविद्यालय के विशेष कार्याधिकारी डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट, शोध एवं प्रसार निदेशालय के निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट, प्रो. इला साह, अधिष्ठाता प्रो. जया उप्रेती, कुलानुशासक प्रो. अनिल कुमार यादव, पूर्व दर्जा राज्यमंत्री गोविंद पिलखवाल, प्रो. शेखर चंद जोशी, प्रो. जेएस बिष्ट, प्रो. विजया रानी ढौडियाल, प्रो. अमित पंत, प्रो. एसए हामिद, प्रो. केसी जोशी, प्रो. निर्मला पंत, प्रो. शालीमा तबस्सुम, प्रो. भीमा मनराल, प्रो. अनिल जोशी, प्रो. जेएस रावत, डॉ. तेजपाल सिंह, डॉ. मनोज बिष्ट, प्रो. एनडी कांडपाल, प्रो. केएन पांडे, डॉ. विजय पांडे, डॉ. चंद्र सिंह चौहान समेत कई शिक्षक, इतिहास विभाग के विद्यार्थी मौजूद रहे।