सीएनई विशेष : असल जिंदगी में बहुत सहज—सरल हैं ‘सत्या’ के कुख्यात गैंगस्टर ‘कल्लू मामा’, सादगी का हर कोई हुआ कायल
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सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
बादशाह, सत्या, जॉली एलएलबी सहित दर्जनों हिंदी फिल्मों में सशक्त भूमिका निर्वहन करने वाले बॉलीवुड के दिग्गज़ कलाकार ‘कल्लू मामा’ उर्फ सौरभ शुक्ला की सादगी का हर कोई कायल हो गया।
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गत दिवस अल्मोड़ा भ्रमण के दौरान उन्होंने न केवल बाइक पर बैठकर नगर का दीदार किया, बल्कि हर किसी से वह बहुत ही सहजता से मिले। कलेक्ट्रेट परिसर में उन्होंने वहां मौजूद अधिवक्ताओं व तमाम प्रशंसकों के साथ फोटो भी खिंचवाए।
‘सत्या’ ने दिलाई थी बड़ी पहचान
उल्लेखनीय है कि बॉलीवुड के बेहतरीन निर्देशकों, राईटर और कलाकारों में सौरभ शुक्ला का बड़ा नाम है। यूं तो उन्होंने दर्जनों फिल्में की और छोटे पर्दे पर भी धूम मचाई, लेकिन उनको सबसे बड़ी पहचान वर्ष 1998 में बड़े पर्दे पर आई ब्लॉक बस्टर मूवी ‘सत्या’ से मिली। इसमें उन्होंने एक गैंगस्टर/डॉन ‘कल्लू मामा’ का जो शानदार किरदार निभाया वह आज भी उनके तमाम चाहने वालों की जुबान पर है।
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राष्ट्रीय पुरस्कार से हुए हैं सम्मानित
इसके अलावा उन्होंने जॉली एल एल बी, रेड, मैडम चीफ मिनिस्टर, गौर हरी दास्तान, आंखों देखी जैसी फिल्मों में भी अपने शानदार अभिनय की छाप छोड़ी है। उन्हें वर्ष 2013 में जॉली एलएलबी में सहायक अभिनेता के लिऐ राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
मल्ला महल को देख हुए अभिभूत
सौरभ शुक्ला गत दिवस शनिवार को अल्मोड़ा के डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट कार्यालय जब पहुंचे तो उनके तमाम प्रशंसक भी वहां पहुंच गये। सौरभ शुक्ला वहां ऐतिहासिक इमारतों को देखकर अभिभूत हो गये। मल्ला महल के ऐतिहासिक महत्व को भी उन्होंने जाना। उन्होंने कहा कि वह उत्तराखंड में पहले भी आ चुके हैं पर अल्मोड़ा—रानीखेत में पहली बार आए हैं।
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डीएम से की शिष्टाचार भेंट
उन्होंने जिलाधिकारी अल्मोड़ा नितिन सिंह भदौरिया व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से भी शिष्टाचार भेंट की। जिलाधिकारी अल्मोड़ा ने उन्हें जागेश्वर, कसार देवी सहित अन्य दर्शनीय स्थलो के बारे जानकारी दी और भविष्य में फिल्म निर्माण हेतु आमंत्रण दिया।
पहाड़ खुले दिल से करता है स्वागत
सौरभ शुक्ला ने कहा कि यहां के लोगों से मिलकर उन्हें बड़ा अच्छा लगा ऐसा लगा कि जैसे पहाड़ खुले दिल से आपका स्वागत करता हो। इससे वह बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया की पहाड़ में बहुत सारी दर्शनीय स्थल भी हैं। जिनमें ब्रिटिश समय की कुछ ऐतिहासिक इमारतें हैं। कुछ उनसे भी पुरानी इमारतें भी हैं। मल्ला महल के बारे में उन्होंने कहा कि यह पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण जगह है। इसके नवीनीकरण के कार्यों पर उनको संरक्षित करने की बात कही।
मुंबई की तेज रफ्तार लाइफ़, पर पहाड़ों में सकून
सौरभ शुक्ला ने कहा कि महानगरी मुंबई की चकाचौंध और शांत पहाड़ी क्षेत्रों की तुलना में यहां की सब जगहों का अपना अपना कल्चर होता है। मुंबई बहुत खूबसूरत जगह है वह उनकी कर्मभूमि है, वह वहा काम करते हैं। मुंबई में सभी जगहों से लोग आते हैं। उत्तराखंड और अन्य राज्यों से भी लोग आते हैं और अपना अपना कार्य करते हैं। उन्होंने कहा की मुंबई की लाईफ काफ़ी तेज़ है, पर यहां पहाड़ों में सुबह उठकर जब आप अपने आप को प्रकृति से जोड़ते हैं तो ये एक अलग ही प्रकार का अनुभव होता है।
…यहां से जाने का मन ही नही करता
उन्होंने अंत में लोगों कोरोना से बचने के लिऐ नियमों का पालन करने की अपील की साथ लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा की अब तो यहां से जाने का मन ही नही करता है। उन्होंने कहा की यदि पहाड़ों में एयर यातायात की सुविधा हो जाए तो पहाड़ों में फ़िल्म निर्माण के बहुत अवसर हो सकते हैं।
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अधिवक्ताओं संग खिंचाई फोटो
इसके पश्चात उन्होंने परिसर में मौजूद अधिवक्ताओं और प्रसंशकों के साथ फोटो भी खिंचवाए। जिनमें एडवोकेट हिमांशु मेहता, शुभांशु रौतेला, दीपक नेगी, रीता मेहरा आदि थे। इस मौके पर उनके साथ एसडीएम गौरव पांडे, एसडीएम राहुल शाह, जिला आपदा अधिकारी राकेश जोशी, जयमित्र बिष्ट, नरेंद्र आदि मौजूद रहे।