Almora Braking: हत्यारोपी को अदालत ने नहीं दी जमानत, हत्या कर शव जंगल में फेंकने का मामला

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाहत्या के एक मामले के एक आरोपी की जमानत अर्जी आज सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुल्तान की अदालत ने खारिज कर दी। मामला…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
हत्या के एक मामले के एक आरोपी की जमानत अर्जी आज सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुल्तान की अदालत ने खारिज कर दी। मामला हत्या करने के बाद शव को जंगल में छिपाने का है।

मामले के मुताबिक गिरीश लाल 08 अप्रैल 2021 को गिरीश लाल पुत्र बसन्त राम, हीरा लाल, दया किशन खोलिया व नर सिंह के साथ एक केस के मामले में नैनीताल कोर्ट में सुनवाई/पैरवी के लिए गए थे। नैनीताल से वापसी में कपिलेश्वर मंदिर तक साथ आए। इसके बाद गिरीश लाल का पता नहीं चल सका। मामले पर मृतक के बड़े भाई महेश लाल पुत्र स्व. पनी राम, निवासी ग्राम कलसीमा पोस्ट चौमू, तहसील व जिला अल्मोड़ा ने 25 अप्रैल 2021 को उक्त आशय की तहरीर थाना लमगड़ा में दी। जिस पर गुमशुदगी दर्ज हुई।

तहरीर के आधार पर एसआई संतोष कुमार देवरानी मय पुलिस कर्मचारियों 26 अप्रैल 2021 को सिमल्टी पहुंचे, तो सूचना मिली कि मौना ल्वेसाल को जाने वाली सड़क के मध्य जंगल में एक शव पड़ा है। पुलिस मौके पर पहुंची, तो क्षत—विक्षत शव नग्नावस्था में पड़ा मिला। जिसकी शिनाख्त गुमशुदा गिरीश चन्द्र के रूप में हुई। पुलिस नैनीताल से उसके साथ आए उक्त चारों लोगों से पूछताछ की। जिसमें उन्होंने यह बात उगल दी कि मृतक गिरीश लाल की हत्या कर लाश को छिपाने व पहचान मिटाने के लिये उसे फेंक दिया। यह भी बताया कि कोर्ट में चल रहे केस में राजीनामे की बात नहीं बनने पर उन्होंने शराब पीने के बाद राह में इस घटना को अंजाम दिया।

पुलिस ने आरोपियों को धारा 302 व 201 ताहि के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा। इधर आज आरोपी दयाकिशन खोलिया पुत्र हरि किशन निवासी ग्राम सिमल्टी, जिला अल्मोड़ा ने अपने अधिवक्ता की ओर से जमानत के लिए अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। जमानत का घोर विरोध करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा ने अदालत को बताया कि आरोपी ने जान बूझकर हत्या करने का जघन्य अपराध कारित किया है। ऐसे में यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह अभियोजन पक्ष के साक्षियों के साथ छेड़छाड़ कर प्रभावित कर सकता है और आरोपी के फरार होने का अंदेशा बना हुआ है। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुना और पत्रावली का परिशीलन किया। इसके बाद सुनवाई करते हुए जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।

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