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रामनगर : कुमाऊं विश्वविद्यालय के पहले पीएचडी धारक को लोगों ने दी श्रद्धांजलि


रामनगर। कुमाऊं विश्वविद्यालय के पहले पीएचडी धारक, गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. डी पी एस मनराल (धर्मपाल सिंह मनराल) के निधन पर पर्वतीय सभा लखनपुर में सामाजिक, राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके निधन को उत्तराखंड के लिए बड़ी क्षति बताया। लखनपुर पर्वतीय सभा में राज्य आंदोलनकारी उत्तराखंड क्रांति दल के इंद्र सिंह मनराल के संचालन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बोलते हुए दिवंगत डॉ. मनराल के भाई अशोक मनराल ने उन्हें बचपन से ही मेधावी बताया।

राज्य आंदोलनकारी उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रभात ध्यानी ने बताया कि स्याल्दे के अपने गांव के स्कूल से हाई स्कूल परीक्षा करने के बाद इंटर में पढ़ाई के लिए लखनऊ चले गए। लखनऊ से इंटरमीडिएट करने के बाद उन्होंने डीएसबी नैनीताल महाविद्यालय में बीए तथा एमए इतिहास की परीक्षा उत्तीर्ण की। एमए इतिहास से करने के बाद उन्होंने प्रोफेसर डॉ. शाकंबरी द्विवेदी के निर्देशन में स्वतंत्रता संग्राम में कुमाऊं-गढ़वाल का योगदान विषय में पीएचडी की। डॉ. मनराल कुमाऊं विश्वविद्यालय इतिहास के पहले छात्र थे, जिन्होंने पीएचडी उपाधि प्राप्त की जिसका प्रकाशन भी हुआ, उन्होंने इतिहास से संबंधित कई किताबों को लिखा। शोध के दौरान ही रामनगर महाविद्यालय में नियुक्ति मिलने के कुछ समय के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी तथा अपना कॉपी किताबों का व्यवसाय शुरू किया।

श्रद्धांजलि सभा में चंदन सिंह मनराल, बसंत लाल वर्मा, उदय राज, गोविन्दा, नंदन सिंह नेगी, हरेंद्र सिंह बिष्ट, शंकर दत्त शर्मा, पूरन सिंह मनराल, भोपाल सिंह बंगारी, कुंदन सिंह बिष्ट, कन्नू तिवारी, जितेंद्र बिष्ट, रमेश मठवाल, संजय मनराल, प्रभात ध्यानी व अशोक मनराल आदि उपस्थित थे।

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