Almora News: आजादी के बाद साढ़े सात दशक का सफर, फिर भी बड़ी आबादी की सुविधाएं सिफर, अब फल्दाकोट शेर विकास संघर्ष समिति ने कसी कमर
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
आजादी के बाद करीब साढ़े साल दशक का वक्त पार हो गया और विकास के दावों की भरमार है। बावजूद इसके विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले कंडारखुआ पट्टी, चौगांव पट्टी, धूराफाट पट्टी तथा परगना फल्दाकोट क्षेत्र के लोग पानी, सड़क, खेती व शिक्षा से जुड़ी तमाम समस्यााओं से जूझ रहे हैं। अब फल्दाकोट शेर विकास संघर्ष समिति इन समस्याओं को लेकर मुख्रर हो गई है। समिति ने इन समस्याओं के निराकरण के लिए इन्हें जोरशोर से उठाने की ठानी है।
इसी क्रम में समिति के एक शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन उप जिलाधिकारी रानीखेत को सौंपा है। जिसमें समस्याओं की ओर ध्यानाकर्षण करते हुए कहा है कि क्षेत्र के कई गांवों के लोग आज भी पेयजल संकट से जूझ रहे हैं और दूर से सिर पर ढोकर पानी का जुगाड़ करने का मजबूर हैं। इस क्षेत्र में सिंचाई सुविधा एक सपना है। इसके अलावा ग्रामीण हाड़तोड़ मेहनत कर आजीविका के लिए साग—सब्जी उत्पादित करते हैं, लेकिन सड़क सुविधा के अभाव में हल्द्वानी मंडी तक कृषि उत्पादों को पहुंचाने के लिए कई किमी सिर पर ढोकर मुख्य सड़क तक पहुंचाते हैं। समिति के संयोजक देवेंद्र सिंह फर्त्याल के नेतृत्व में सौंपे गए इस ज्ञापन में तत्काल समस्याओं के निदान की गुहार लगाई गई है।
ज्ञापन में ये मांग हैं शामिल
— 20 नाली से कम जोत वाले किसानों को भूमिहीन घोषित करते हुए उन्हें उपजाउ भूमि तराई में आवंटित की जाए अथवा परिवार के एक सदस्य को पर्वतीय क्षेत्र में सरकारी नौकरी दी जाए।
— फल्दाकोट क्षेत्र के गांवों में उत्पादित साग—सब्जी की विक्रय के लिए मंडी खोली जाए।
— बजोल—अल्मियाकांडे सड़क में डामरीकरण किया जाए।
— राइंका शेर में प्रधानाचार्य का रिक्त पद भरा जाए।
— भुजान—रानीखेत पंपिंग पेयजल योजना का शीघ्र निर्माण किया जाए।
— कोसी नदी से काकड़ीघाट—कुनेलाखेत तथा काकड़ीघाट—बेड़गांव—चौमूधार पंपिंग पेयजल योजना बनाई जाए।
— खैरना से काकड़ीघाट तक मुख्य सड़क की हालत खस्ता है। ऐसे में खैरना से अल्मोड़ा जिले की भूमि ज्याड़ी, पलनी, जनता, नौगांव होते हुए काकड़ीघाट तक सड़क निर्माण किया जाए।
— फल्दाकोट परगना अंतर्गत पट्टी कंडारखुआ, चौगांव तथा धूराफाट पट्टी के गांवों के ग्रामीणों को दैवीय आपदा से हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए।
— क्षेत्र की विभिन्न सड़कों का सुधारीकरण किया जाए और अतिवृष्टि से टूटे गांवों के पैदल मार्गों का निर्माण किया जाए।
— सिरौता नदी व कुजगढ़ नदी के भूकटाव को रोकने के लिए मजखाली, द्वारसों, शीतलाखेत, चौबटिया—काकड़ीघाट तथा बिनसर—भुजान तक चैकडैम बनाए जाएं।
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