सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर भारत की आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर कुली बेगार आंदोलन का शताब्दी वर्ष विषय पर इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग सोबन सिंह जीना परिसर द्वारा आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन बेबिनार का आयोजन किया गया।
द्वि़तीय दिवस के प्रथम सत्र में अध्यक्षता डॉ. वसुधा पंत ने की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि रूप में पद्मश्री प्रो. पुष्पेश पंत और वक्ता रूप में प्रो. दया पंत, डॉ. चंद्रसिंह चौहान, प्रो. संजय टम्टा, आजादी का अमृत महोत्सव के संयोजक प्रो. अनिल जोशी, आयोजक सचिव एवं इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वीडीएस नेगी, सह-संयोजक डॉ. गोकुल देउपा ने इस सत्र का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री प्रो. पुष्पेश पंत ने इतिहास एवं क्षेत्रीय इतिहास के विभिन्न पक्षों और कुली बेगार आंदोलन की पृष्ठभूमि के संबंध में विस्तार से बात रखी।
वक्ता डॉ. हीरा भाकुनी ने कुमाऊँ परिषद, बद्रीदत्त पांडे, अल्मोड़ा अखबार, होम रूल लीग के संबंध में बात रखी। उन्होंने कहा कि 1916 को एक ऐतिहासिक वर्ष के रूप में महत्वपूर्ण बताया गया है। इस वर्ष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नरमपंथी एवं गरमपंथी दलों का एकीकरण हुआ तो दूसरी ओर कांगेस-मुस्लिम लीग में समझौता हो गया। एक अन्य वैश्विक कारक प्रथम विश्व युद्ध से उत्पन्न राष्ट्रीय चेतना ने कुमाऊँ में कुमाऊँ परिषद के रूप में जन्म लिया।
सेवानिवृत्त आचार्य प्रो. दया पंत ने उत्तराखंड के समाचार पत्रों और कुली बेगार आंदोलन के ऐतिहासिक पक्ष पर विस्तार से बात रखी। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा अखबार का योगदान कुली बेगार आंदोलन को बढ़ाने में बहुत अधिक है। क्षेत्रीय पुरातत्त्व अधिकारी डॉ. चंद्र सिंह चौहान ने बेगार के विभन्न रूप और इतिहास के विभिन्न कालखंडों में प्रचलित बेगार की प्रवृत्तियों पर विस्तार से बात रखी। प्रो. संजय टम्टा ने कुली बेगार आंदोलन और दलित चेतना के संबंध में बात रखी।
अध्यक्षता करते हुए डॉ. वसुधा पंत ने पं. हरगोविन्द पंत के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। इस सत्र का संचालन प्रो. अनिल जोशी ने किया।
वेबिनार के द्वितीय सत्र में अध्यक्ष रूप में प्रो. अतुल सकलानी मौजूद रहे। इस अवसर पर मुख्य अतिथ रूप में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी, डॉ. योगेश धस्माना, डॉ. ज्योति साह, डॉ. शरद भट्ट, प्रो. अतुल सकलानी ने कुली बेगार के संबंध में व्याख्यान दिया। द्वितीय सत्र में जीवन भट्ट ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
इससे पूर्व उद्घाटन सत्र पर उद्घाटन सत्र में अध्यक्ष रूप में कर्नल रवि पांडे, मुख्य अतिथि रूप में प्रो. एनएस भंडारी, डॉ. वसुधा पांडे, प्रो. एमपी जोशी, कर्नल रवि पांडे, आयोजक सचिव प्रो. वीडीएस नेगी, संयोजक प्रो. अनिल जोशी मौजूद रहे। उद्घाटन अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि कुली बेगार आंदोलन हमारे उत्तराखंड के इतिहास में दर्ज हुआ है। राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम में यहां के जन मानस का योगदान अहम रहा है। हमें इन आंदोलनों से सीख लेने की आवश्यकता है। आयोजक सचिव प्रो. वीडीएस नेगी एवं संयोजक प्रो. अनिल जोशी ने भी कुली बेगार आंदोलन के विभिन्न पक्षों में बात रखी।
प्रथम दिवस के द्वितीय सत्र में डॉ. गोबिंद पंत राजू, डॉ. हीरा भाकुनी, एडवोकेट गोविंद सिंह भंडारी, प्रो. दिवा भट्ट, अध्यक्षता प्रो. ललित जोशी ने संबोधित किया। प्रथम एवं द्वितीय सत्र में क्रमशः डॉ. गोकुल देउपा एवं डॉ. चंद्रप्रकाश फुलोरिया ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
वेबिनार में डॉ. गोकुल देउपा, प्रेमा बिष्ट, प्रो. अवनींद्र जोशी, प्रो. भीमा मनराल, डॉ. चंद्र प्रकाश फुलोरिया, डॉ. ज्योति साह, डॉ. ममता असवाल, डॉ. रश्मि पंत, प्रो. हेम पांडे, प्रो. शरद भट्ट, डॉ. नंदन सिंह बिष्ट, डॉ. ललित चंद्र जोशी, डॉ. नवीन रजवार, डॉ. नाजिया खान, प्रो. प्रेमलता पंत, डॉ. सरोज वर्मा, डॉ. सुधीर नैनवाल, शोधार्थी नरेंदद्र कुमार, चंदन जीना, पूजा बिष्ट, प्रेमा बिष्ट, डॉ. दर्शन मेहता, नीरजा बिष्ट आदि सहित देश भर के विद्वान, छात्र-छात्राएं, शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।