सीएनई रिपोर्टर, रामनगर
अगर आप टाइगर का दीदार करना चाहते हैं तो देव भूमि उत्तराखंड में स्वागत है। सुखद बात यह है कि यहां 252 बाघ कार्बेट टाइगर रिजर्व (Corbett Tiger Reserve) गणना में पाये गये हैं।
जहां देश भर में टाइगर्स की लगातार कम होती संख्या चिंता का विषय बनी हुई है, वहीं नैनीताल जनपद के कार्बेट टाइगर रिजर्व से एक सुखद ख़बर आई है। यहां साल दर साल बाघ अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो साल 2006 से आज तक यहां लगातार बाघों की संख्या की गणना होती आई है। साल 2006 में यहां बाघ वर्ष 160 थे। वर्ष 2010 में 186, 2014 में 215, वर्ष 2018 में 231, 2019 में 252 तथा वर्तमान वर्ष 2022 में इनकी गिनते 252 हुई है।
सीएनई के इस समाचार व आंकड़े पढ़ने वाले प्रकृति व वन्य जीव प्रेमियों के लिए भले ही यह सुखद समाचार हो, लेकिन चिंतनीय पहलू यह भी है कि बाघों की यहां संख्या बढ़ने के साथ ही संकट भी पैदा हो गया है। दरअसल, टाइगरर्स में इन दिनों आपसी संघर्ष बढ़ गया है। प्राकृतिक भोजन सीमित है, वहीं बाघ बढ़ते जा रहे हैं। इन परिस्थितियों में शक्तिशाली बाघ कमजोर को जंगल से खदेड़ रहे हैं। जिस कारण बाघ मानवीय आबादी में दिखने लगे हैं।
रिजर्व वन्य क्षेत्र में सांभर, चीतल अच्छी संख्या में हैं, लेकिन निर्वासित बाघ पालतू जानवरों को अपना शिकार बना रहे हैं। बाघ आसानी से मिलने वाले भोजन के लिए निकटवर्ती ग्रामीण इलाकों में गाय, बैल, बकरी, भैंस, भेड़ आदि का शिकार करने लगे हैं। पालतू मवेशियों को शिकार बनाने की वजह से इंसानों से भी इनका संघर्ष बढ़ने लगा है।
क्या कहते हैं रिजर्व के निदेशक
टाइगर रिजर्व के निदेशक धीरज पांडे के अनुसार बाघों की संख्या बढ़ने से टकराव हो रहा है। इंसान व बाघों की भूमि एक ही है। ऐसे में दोनों आमने—सामने आने लगे हैं। आवश्यकता तो इस बात की है इंसान बाघों के व्यवहार को समझने का प्रयास करें और संघर्ष से दूर रहे। अगर घर पर पालतू मवेशी हैं तो बाघ भी आयेंगे। यह उनका स्वभाव है और भोजन का हिस्सा भी।