लालकुआं। सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल के प्रदूषण से परेशान लालकुआं वासियों ने अब इसके विरूद्ध व्यापक स्तर पर आंदोलन छेड़ने का मन बना लिया है जल्द इस पर रणनीति तैयार कि जायेगी।
बताते चलें कि 34 साल पहले लालकुआं में स्थापित एशिया की सबसे बड़ी इस पेपर मिल से स्थानीय लोगों में आस जगी थी कि इस मिल के लगने के बाद यहाँ रोज़गार और व्यापार की समस्या काफी हद तक हल होगी लेकिन हुआ इसके उलट। लालकुआं के लिए जहरीले प्रदूषण का पर्याय बन चुकी इस पेपर मिल से लोगों को गंभीर बीमारियां और हताशा ही हाथ लगी है।
ऐसा यहाँ के स्थानीय लोगों का कहना है। लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि सेन्चुरी पेपर मिल की वजह से यहां लोगों की जिन्दगी जहरीली हो गयी है प्रदूषण के मामले में कार्र्वाई करने के लिए जिम्मेदार प्रर्यावरण विभाग के अधिकारियों से शिकायत करने का मतलब नक्कारखाने में तूती की आवाज़ बनकर रह गया है। चौबीस घंटे मिल से निकलने वाले धुंआ और कोयले की राख ने ना जाने कितने लोगों को बीमारी की कगार पर खड़ा कर दिया है ।
वही इस मिल से प्रभावित इलाकों में लालकुआं,बिन्दुखत्ता और शांतिपुरी के लोग शासन प्रशासन से गुहार लगा कर थक चुके हैं लेकिन लोगों के स्वास्थ्य को लेकर कोई गंभीर नहीं दिखाई देता।
इधर स्थानीय लोगों में क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को लेकर भी आक्रोश है जनप्रतिनिधियों की चुप्पी को लेकर जनता में आश्चर्य है। वही देश के सुप्रसिद्ध बिड़ला घराने की इतनी बडी मिल में प्रदूषण कम करने के लिये कोई भी पुख्ता इंतजाम नही किये गये हैं, उधर पेपर मिल के अधिकारियों का कहना है कि मिल प्रदूषण के नियंत्रण के लिए सभी मानकों का पालन कर रही है।