Breaking News: सोशल मीडिया से बागेश्वर के फायर कर्मी के दुखड़े की भनक लगी, तो ‘संकटमोचक’ बने डीजीपी अशोक कुमार, बच्ची के इलाज को निर्गत किए 12 लाख और मानवता व प्रेरणा का दे डाला बड़ा उदाहरण
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सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
जहां मुसीबत में फंसे फरियादी के लाख अनुनय—विनय के बावजूद कई अधिकारियों के कानों में जूं नहीं रेंगती, वहीं ऐसे अधिकारी भी हैं, जो किसी के संकट में होने की भनक लगते ही मानवता को सर्वोपरि रखते हुए उसकी मदद को लपक पड़ते हैं। ऐसे ही अधिकारियों में शुमार हैं प्रदेश के डीजीपी अशोक कुमार। जिन्होंने बिना फरियाद के ही बागेश्वर के एक फायर कर्मी को पुत्री के इलाज के लिए 12 लाख रुपये स्वीकृत कर दिए। इस धनराशि का अग्रिम भुगतान भी कर दिया।
हुआ यूं कि डीजीपी अशोक कुमार को सोशल मीडिया में एक मैसेज पढ़ने को मिला। जिससे पता चला कि बागेश्वर में तैनात एक फायरमैन बलवंत सिंह राणा की ढाई साल की बच्ची का स्वास्थ्य अत्यंत खराब है। वह बच्ची पीजीआई लखनऊ में उपचाराधीन है और उसका बोन मेरो ट्रांसप्लांट होना है। इसमें करीब 12 लाख रुपये का खर्चा आ रहा है। धन की कमी के कारण सोशल मीडिया के जरिये परिजनों ने मदद की गुहार लगाई थी। इससे डीजीपी का दिल पसीजा। फिर क्या था मानवता के धर्म से ओतप्रोत डीजीपी ने तुरंत पुलिस अधीक्षक बागेश्वर से इस मामले की सत्यता के संबंध में जानकारी प्राप्त की।
बात सत्य पाए जाने के बाद उन्होंने फायरमैन बलवंत सिंह राणा के परिवार से दूरभाष पर बात की और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। संकट में आए परिवार के सम्मुख डीपीजी जैसे ‘संकटमोचक’ के रुप में खड़े हो गए। इतना ही नहीं उन्होंने पीजीआई लखनऊ के डाक्टरों से बातचीत की और श्री राणा की बच्ची का पूरा ध्यान रखने के लिए कहा। बागेश्वर पुलिस कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार डीजीपी ने तुरंत जीवन रक्षा निधि से फायरमैन बलवंत सिंह राणा को अग्रिम रूप से 12 लाख रुपये दे दिए।
यह बड़ा ही प्रेरणादायी उदाहरण सभी के लिए डीजीपी ने प्रस्तुत किया है। साथ ही एक बार फिर ‘खाकी में इंसान’ के शीर्षक को साबित कर दिखाया है। डीजीपी ने यह संदेश भी दिया है कि कोई भी पुलिस कर्मी इस निधि का उपयोग कर सकता है, बशर्ते की जरूरतमंद व्यक्ति पूर्ण रुप से उस पुलिस कर्मी पर आश्रित होना चाहिए।