बागेश्वर। कोई भी काम छोटा या छोटा या बड़ा नहीं होता है, हर काम का अपना महत्व है। आप आत्मनिर्भर बनिये बहुत अच्छा है,लेकिन थोड़ा सोचिये तो सही। आत्म निर्भरता का ये काम कितना लंबा चलेगा। आप के और परिवार के कितने सपने पूरे होंगे। आत्म निर्भरता के नाम पर फोटो खिंचवाने और मदद का आश्वासन देने वालो की काफी लंबी कतार नजर आती है। मदद के सही मौके पर कोई नजर तक नहीं आता। इसकी चर्चित पवन एक जीती जागती मिसाल है।
कांडा क्षेत्र में पवन की चर्चा को देख ज्यादातर युवा बार्बर बनने को आतुर हैं। कांडा तहसील के अंर्तगत खुली लगातार 7 नई दुकानें तो यही कहानी कहती हैं। 4 नई दुकानें तो धड़ाधड़ कांडा पड़ाव में ही खुल गई हैं। भले ही पवन को आज मीडिया और राजनीति हुक्मरानों ने भुला दिया हो, लेकिन इन सभी आत्म निर्भर प्रवासियों का रोल माॅडल और नई राह दिखाने वाला वही है। नयी दुकान स्वामी पवन कुमार ने बताया कि आज ही उसने बार्बर शॉप खोली है, लाॅकडाउन से पहले वह अल्मोड़ा में रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था।
चर्चित प्रवासी पवन को देख उसे ये हौसला मिला कि कोई भी काम छोटा बढ़ा नहीं होता है और लगे हाथ उसने सैलून खोल लिया, क्षेत्रीय विधायक बलवंत भौर्याल ने आज दुकान का उद्धघाटन भी कर दिया। मालूम हो कि कांडा पड़ाव में अब बार्बर की कुल 8 दुकाने हो गई है।लाॅकडाउन के चलते कांडा पड़ाव के सारे बार्बर घर चले गए थे,अब वे भी वापिस आने लगे है। अगर सरकार या फिर जिला प्रषासन इन प्रवासियों को कुछ नये,क्रिएटिव और लंबे चलने वाले प्रोजेक्टों से रुबरु कराते, तो क्या ये प्रवासियों के भविश्य के लिए ज्यादा बेहतर नहीं होता ।
वहीं कुछ प्रवासियों का कहना है कि मनरेगा,मुर्गी पालन,मत्सय पालन या फिर धोबी,नाई जैसे आत्मनिर्भर कामों के अलावा सरकार के पास हमारे लिए ना ठोस निती है और ना ही कोई इच्छाषक्ति। हालात कुछ ठीक होने के बाद वापिस प्रदेश लौटने के अलावा कोई चारा नहीं है।