फसलों में कटाई हेतु परिपक्वता के सामान्य लक्षण —
- दानों में नमी की मात्रा लगभग 20 प्रतिशत से कम रह जाती है।
- पत्तों का रंग पीला हो जाता है और पत्ते गिरने लगते हैं।
- दानों एवं फलियाँ सूखने लगते हैं एवं इनका रंग बदल जाता है।
- फसल का जीवन-चक्र पूरा हो जाता है जो कि फसल एवं इसकी प्रजाति पर निर्भर करता है।
- धान्य फसलों जैसे गेहूँ व जौ में नीचे की पतियाँ गिरने लगती हैं, तने का रंग पीला हो जाता है और तने में गूदा बनने लगता है, बालियों का रंग पीला हो जाता है, दाने कठोर/सख्त हो जाते है।
- दलहनी फसलों में फलियों का रंग भूरा हो जाता है, दाने सख्त/कठोर हो जाते हैं, नीचे की पत्तियाँ पीली होकर गिरनी शुरू हो जाती हैं।
- प्याज एवं लहसुन जैसी सब्जी वाली फसलों में पौधों की गर्दन गिरने लगती है। लहसुन में पत्तों का रंग पीला-भूरा होकर सूखने लगते हैं।
- चारा वाली फसलों की कटाई वनस्पतिक अवस्था में की जाती है क्योंकि इस अवस्था के बाद चारा वाली फसलों की पोषकता में कमी आती है व रेशे की मात्रा बढ़ जाती है।