अल्मोड़ा : जंगल छोड़ प्राण त्यागने बाजार आई बाघिन, घावों से बह रहा था खून

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा यहां जंगल से घायल अवस्था में बाजार क्षेत्र में पहुंचे एक टाइगर की मौत हो गई। समझा जा रहा है कि किसी…

उत्तराखंड : चार साल के बच्चे को आंगन से उठा ले गया बाघ, जंगल से बरामद हुआ शव

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

यहां जंगल से घायल अवस्था में बाजार क्षेत्र में पहुंचे एक टाइगर की मौत हो गई। समझा जा रहा है कि किसी अन्य वन्य जीव से हुए संघर्ष के बाद उसकी मौत हुई है। यह मामला सल्ट विकासखंड की मर्चुला बाजार का है। वन विभाग के अनुसार यह एक बाघिन थी, जिसकी अनुमानित आयु करीब 11 साल रही होगी।

बताया जा रहा है कि मर्चुला बाजार में बीती देर रात एक बाघिन घूमती हुई दिखी। जिसे देख वहां मौजूद लोगों में हड़कंप मच गया। यह टाइगर अपनी जान बचाने के लिए पहले एक ढाबे में, फिर पंजाब नेशनल बैंक के पास वाली गैलरी में घुस गया। जब तक वन विभाग से रेस्क्यू दल पहुंचा, तब तक टाइगर की मौत हो गई थी।

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार सोमवार रात करीब 9 बजे के आस-पास बाघ को सर्वप्रथम देखा गया। लोगों ने बताया कि वन विभाग के रेस्क्यू दल ने जब टाइगर को भगाने के लिए फायर किए, तब वह डर कर मरचूला बाजार स्थित पीएनबी बैंक के पास एक गली में जा घुसा और वहीं कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। फिलहाल वन विभाग की टीम ने बाघ के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए रेसक्यू सेंटर ढैला, रामनगर भेज दिया है।

इधर रेंजर अमोल इष्टवाल के अनुसार बाघ की शरीर में कई घावों के निशान हैं। जिनसे खून बहता हुआ देखा गया है। हालांकि मौत का स्पष्ट कारण नहीं पता चल पाया है, लेकिन प्रथम दृष्टया यही लगता है कि उसका किसी अन्य बाघ या अन्य विशाल जानवर से संघर्ष हुआ होगा। इस मादा बाघ की अनुमानित आयु करीब 11 वर्ष रही होगी। ज्ञात रहे कि कॉर्बेट पार्क के कालागढ़ टाइगर रिजर्व एरिया का सीमावर्ती क्षेत्र मर्चुला है। यहां कई बार बाघ जंगल से आ जाया करते हैं। कुछ दिन पूर्व भी मंदाल रेंज के अंतर्गत जमरिया में बाघ ने एक महिला पर हमला कर दिया था।

ज्ञात रहे कि जंगलों में रहने वाले बाघ अकसर विपरीत परिस्थितियों के चलते केवल 10 से 12 साल तक ही जीवित रह पाते हैं, लेकिन पर्याप्त भोजन व अनुकूल वातावरण मिले तो यह 25 साल तक का जीवन चक्र पूरा करते पाये गये हैं। अमूमन बाघ असमय बीमारी, आपसी संघर्ष या किसी अन्य दुर्घटना के चलते मारे जाते हैं। आम तौर पर देखा गया है कि घायल होने के बाद काफी दिनों तक शिकार नहीं कर पाने के कारण बाघ कमजोर हो जाते हैं और इनकी मौत हो जाया करती है।

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