रोचक : यहां सरेआम बिकी Corona की जादुई ‘आयुर्वेदिक दवा’ ! दस हजार से अधिक की उमड़ पड़ी भीड़ और खत्म हो गया पूरा stock, रोकने के बजाए दवा पर Research करने में जुटा है सरकारी अमला….
Second wave of corona infection से डरी—सहमी देश की जनता के समक्ष अगर दवा के नाम पर कोई भी टोटके बताने लगता है तो अकसर जनता उसके बहकावे में आ ही जाती है। ऐसा ही कुछ आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में देखने को मिला है।
यहां एक Ayurvedic medicine से कोरोना के इलाज का ऐसा दावा किया गया कि दस हजार से अधिक जनता इसे लेने के लिए गांव में टूट पड़ी। इस तरह के अंधविश्वास को रोकने की बजाए Government missionary इस दवा पर रिसर्च करने में जुटी हुई है।
दावा यह किया जा रहा है कि इस दवा की कोरोना मरीज की आंख में दो बूंदें डालने के बाद उसके शरीर में ऑक्सीजन का लेवल एक घंटे में 83 से बढ़कर 95 हो जाता है।
हुआ यूं कि नेल्लोर स्थित कृष्णापट्टनम गांव में कोरोना Virus को मारने के लिए दवा का वितरण शुरू हुआ। इस दवा को बांटने का काम एक आयुर्वेदिक चिकित्सक बी आनंदैया द्वारा किया गया, जो कभी गांव के सरपंच हुआ करते थे और बाद में मंडल परिषद के सदस्य बने।
आज शुक्रवार को कृष्णापट्टनम में हजारों की भीड़ इकट्ठा होने के कारण गांव में भगदड़ मच गई। दवा की कमी होने की वजह से अब इसका वितरण कुछ दिनों के लिए रोक दिया गया है।
इधर इस मामले में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने केंद्रीय आयुष मंत्री किरेन रिजिजू और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के निदेशक बलराम भार्गव को दवा पर अध्ययन करने के निर्देश दिये हैं।
आंध्र प्रदेश के Chief Minister YS Jagan Mohan Reddy ने भी एक बैठक बुलाई और इस कथित दवा के बारे में जानकारी हासिल की। उधर उपमुख्यमंत्री ए के के श्रीनिवास ने समीक्षा बैठक के बाद कहा कि उन्होंने आईसीएमआर और अन्य एक्सपर्ट्स के द्वारा इस दवा के Effic rate पता लगाने का फैसला किया है।
इधर Government of Andhra Pradesh के कोविड-19 प्रबंधन की पिछले साल देख-रेख कर चुके रमेश ने कहा, सरकारों को ऐसे अंधविश्वासों को रोकना चाहिए। वहीं आयुष विभाग के Ayurvedic Practitioners की एक टीम ने कुछ दिन पहले कृष्णपट्टनम गांव का दौरा किया और दवा के बारे में जांच-पड़ताल कर एक रिपोर्ट तैयार की।
चिकित्सकों ने इस रिपोर्ट को सरकार को सौंपा और बताया कि दवा बनाने की विधि, उपचार प्रक्रिया और उसके बाद के प्रभावों का वैज्ञानिक लेवल पर अध्ययन किया जाना चाहिए।
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