देहरादून। विजिलेंस को आईएएस रामविलास यादव ने कुछ अटपटे जवाब भी दिए। उनसे जब खातों में जमा पैसों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि यह पैसा कौन उनके खातों में जमा करता है। बहुत से लोगों को मेरा खाता नंबर पता है जिसका मन करता है वह जमा कर देता है।
इन जवाबों से विजिलेंस अधिकारी संतुष्ट होने के बजाय और भी चकरा गए। इसके बाद सवालों पर सवाल दागे गए, लेकिन यादव अफसरों को घुमाते रहे। यादव की एक 70 लाख रुपये की एफडी है। इसके अलावा उनकी बेटी के खाते में भी 15 लाख रुपये हैं। उनकी पत्नी के नाम से संचालित स्कूल में भी हाल ही में लाखों रुपये का सामान लगवाया गया है।
विजिलेंस ने जब उनकी आय को जोड़ा, तो करीब 50 लाख रुपये की पाई गई, जबकि उनकी संपत्तियां करीब ढाई करोड़ रुपये से भी ज्यादा की हैं। इस बारे में जब उनसे पूछा गया तो बताया कि उन्हें इस बात का पता ही नहीं कि कौन उनके खातों में पैसे जमा करता है।
यादव के बारे में जब उनकी आय के स्रोत पूछे जाते हैं, तो वह खेती को स्रोत बताते हैं, जबकि उनके गांव में पैतृक केवल 10 बीघा जमीन है। इसमें वह कोई भी फसल उगाते हैं, तो इतनी बड़ी आय नहीं हो सकती। यही नहीं उन्होंने अब तक खेती से कितनी आय है, इसके बारे में कुछ नहीं बताया। उन्होंने कभी फसल बेचने के कागजात नहीं दिखाए और न ही अन्य कोई साक्ष्य।
रामविलास यादव के कारनामे भी खासे चर्चा में हैं। पिछले दिनों जब उनके गांव में छापा मारा गया तो वहां पर एक आलीशान मकान उनकी जमीन पर बना मिला, लेकिन इस मकान पर पंचायत घर लिखा हुआ था। मकान बनाने के लिए कहां से पैसा आया, इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी।
यही नहीं उन्होंने एक समिति बनाई है, जिसमें गांव के लोगों को सदस्य और अध्यक्ष आदि बनाया गया है, ताकि कोई यह न कह सके कि मकान उनका है, पंचायत घर नहीं, जबकि पंचायत घर सरकार की ओर से बनाया गया होता है न कि किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा।
लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व सचिव रहे राम विलास यादव के ठिकानों पर उत्तराखंड विजिलेंस ने बीते दिनों छापेमारी की कार्रवाई की थी। यादव उत्तराखंड में अपर सचिव समाज कल्याण के पद पर कार्यरत थे। विजिलेंस की जांच में उन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा था। जिसके बाद उनके ठिकानों पर छापेमारी की गई थी।
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