Success Story: मारिया कुरियाकोस, नारियल कचरा सेठ ऐसे बनी करोड़पति
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सफलता की कहानी : हिंदुस्तान की यह नारियल कचरा सेठ लड़की, ऐसे रातोंरात बन गई करोड़पति !
CNE DESK/अगर मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना है तो कोई मुश्किल आपका रास्ता नहीं रोक सकती। कचरा बीन कर भी लोग सेठ बन गए हैं। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है। यहां हम बात कर रहे हैं मारिया कुरियाकोस (Maria Kuriakose) की। जिन्होंने सिर्फ नारियल का कचरा एकत्रित कर कुछ ऐसा किया कि अब वह करोड़पति बन चुकी है और अपनी कंपनी का संचालन कर रही है।
जानिए कौन है मारिया यानी नारियल कचरा सेठ
Maria Kuriakose मूल रूप से दक्षिण भारतीय हैं और केरल की रहने वाली हैं। 2016 में उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया। फिर आगे की पढ़ाई के लिए स्पेन चली गई थी। वहां से पढ़ाई पूरी कर भारत लौटीं और मुंबई में एक कंसल्टेंसी कंपनी में चार साल तक नौकरी की। इसके बाद केरल के लोगों के लिए कुछ करने की इच्छा उन्हें मुंबई से पलक्कड़ ले आई। केरल के लोगों के लिए कुछ करने की तमन्ना में उन्होंने अपनी अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी भी 2018 में छोड़ दी। बाद में मैना महिला फाउंडेशन का हिस्सा बन गई। यह एक ऐसा संगठन है जो मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। मुंबई की मलिन बस्तियों में यह संगठन सस्ते सैनिटरी पैड उपलब्ध कराता है।
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मारिया जब साल 2020 में केरल में रिसर्च कर रही थी तो उन्होंने देखा कि नारियल से तेल और कई चीज बनाई जा रही हैं लेकिन नारियल के तेल के लिए उसका फल लेने के बाद उसका शेल फेंक दिया जाता है। इस हेतु मारिया ने थेंगा कोको नाम के वेंचर की स्थापना की। यह कंपनी नारियल के खोलों को टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल हस्तनिर्मित वस्तुओं में बदल देती है।
लगभग चार दर्जन महिलाओं को दिया स्थाई रोजगार
केरल में मारिया कुरियाकोस ने नारियल कचरा एकत्रित कर उसे उपयोगी वस्तुओं में बदलने का काम शुरू कर दिया। आज उनकी कंपनी महिलाओं के नेतृत्व वाला एक उद्यम है। वर्तमान में करीब चार दर्जन महिलाएं इस कंपनी में रोजगार कर रही हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में मारिया ने 01 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जनरेट किया। हाथ से बने इन प्रोडक्टों की आज देश-विदेश में बहुत मांग है।
थेंगा कोको है मारिया के व्यवसाय का नाम
मारिया कुरियाकोस अपने अनुभव साझा करते हुए बताती है कि साल 2019 में उसने केरल के त्रिशूर में नारियल के कुछ खोल इकट्ठा किए। फिर इन खोलों को अच्छी तरह से साफ कर इनकी सतह को चिकना बना दिया। कुछ ही समय में फेंके गए ये नारियल के खोल स्टाइलिश, पर्यावरण अनुकूल कटोरे में बदल गए। यह प्रयोग आज करोड़ों का उद्यम बन गया है। जो कि नारियल के कचरे को टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल, हस्तनिर्मित घरेलू उत्पादों में बदल देता है। मारिया ने अपने व्यवसाय का नाम थेंगा कोको रखा है। मलयालम में थेंगा का अर्थ नारियल होता है।
विदेशों में मारिया के प्रोडक्ट की बड़ी डिमांड
कंपनी के पास आज केरल के अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों और कारीगरों का बेहतरीन नेटवर्क है। इनके यहां काम कर रही महिला कारीगर नारियल खोल से तैयार वस्तुओं से 20 से 25 हजार रुपये तक की मासिक आमदनी करती हैं। चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरों के अलावा थेंगा प्रोडक्टों की मांग डेनमार्क, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन जैसे देशों में भी जबर्दस्त है। हालांकि, स्थानीय ऑर्डर की तुलना में अंतरराष्ट्रीय मांग ज्यादा मजबूत है।
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