Success Story : राधा ने घर पर खड़ा किया रोजगार, गरीबी को दी मात

कठिन समय में यह प्रेरक कहानी दिखाएगी नई राह सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: अगर आपके पास आय अर्जन का कोई सरकारी या गैर सरकारी साधन नहीं…

Success Story : राधा ने घर पर खड़ा किया रोजगार, गरीबी को दी मात

कठिन समय में यह प्रेरक कहानी दिखाएगी नई राह

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: अगर आपके पास आय अर्जन का कोई सरकारी या गैर सरकारी साधन नहीं है, तो आपको मेहनतकश महिला राधा रावत की प्रेरक कहानी एक किरण दिखा सकती है। जिसने कठिन स्थिति का मुकाबला करने के लिए ‘पशुधन’ को आजीविका का साधन बनाकर अपनी आर्थिकी सुधार ली और ये साबित कर दिया कि अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो घर पर ही रोजगार पैदा किया जा सकता है। भले राधा ने मेहनत से आर्थिक संकट टाल कर अपने परिवार के चेहरे में खुशियां ला दी, लेकिन अन्य लोगों को एक बेहतर प्रेरणा दे डाली।

राधा रावत की पूर्व स्थिति

दरअसल, राधा रावत अल्मोड़ा जनपद के विकासखंड चौखुटिया के ग्राम कालाचौना की रहने वाली हैं। उनका परिवार गरीबी के कारण आर्थिक संकट में रहता था। वजह थी कि छोटी सी खेती के अलावा न तो उनके पास कोई रोजगार था और न ही उनके पति शंकर सिंह रावत के पास कोई सरकार या गैर सरकारी रोजगार। ऐसे में इस महंगाई के जमाने में परिवार का भरण—पोषण करना बेहद कष्टदायी स्थिति कही जा सकती है। पशुधन के नाम पर वर्ष 2013 में इनके पास मात्र 1—2 लीटर दूध देने वाली एक बद्री गाय थी। न ही ऐसी स्थिति कि दुधारू पशु क्रय कर सकें।

फिर कुछ नया करने की ठानी

जब परिवार का आर्थिक संकट बढ़ता चला गया। तो कुछ करने की ठानी और तय किया वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन को रोजगार का जरिया बनाया जाए। उन्होंने ग्राम सभा में पशुपालन से संबंधित होने वाली गोष्ठियों में हिस्सा लिया और पशुपालन का तरीका सीखा। जब धुन सवार हुई, तो राजकीय पशु चिकित्सालय मासी पहुंचकर पशुपालन विभाग की तत्संबंधी योजनाओं की जानकारी ली। इन्हीं योजनाओं का लाभ लेते हुए ऋण लेकर एक डोगुली नस्ल की गाय खरीदी। पशु चिकित्सकों के दिशा—निर्देश में ही उसका पालन—पोषण किया और दूध बेचना शुरू किया। इस कार्य में पति का भी सहयोग लिया। फिर धीरे—धीरे आय अर्जन शुरू किया और ऋण चुकता किया।

काम बढ़ा और बन गई छोटी डेयरी

फिर क्या था, दूध बेचकर बचत के रूपयों से नये दुधारू पशु क्रय करते रही। उसी अनुरूप मेहनत भी बढ़ते गई और कारबार बढ़ता चला गया। इसी क्रम के चलते आज उनके पास 05 गौवंशीय पशु व एक भैंस है। वह पशुपालन विभाग व पशु चिकित्साधिकारी की राय से ही नियमित पशुशाला की साफ—सफाई करती हैं, पशुओं को संतुलित आहार व कृमिनाशक दवाईयां देती हैं। पति के साथ मिलकर उनकी यह मेहनत फलीभूत हुई और आज वह एक छोटी डेयरी के रूप में अपना यह कारोबार चला रही हैं।

जागरूक पशुपालक के रूप में पहचान

राधा रावत की पहचान क्षेत्र में आज एक जागरूक पशुपालक के रूप में बनी है। वह पशुपालन विभाग, उत्तराखण्ड के टीकाकरण कार्यक्रम का पूरा पूरा लाभ अपने इस रोजगार में उठाती हैं। यहां तक कि पशुधन बीमा योजना का लाभ लेते हुए उन्होंने अपने पशुओं का बीमा भी कराया है और पशु चिकित्सालय में मिलने वाला चारा बीज ही इनके द्वारा उगाया जाता है। यही नहीं राधा ने विभाग की मदद से मदर पोल्ट्री यूनिट योजना का वर्ष 2020-21 में लाभ लिया है।

कभी लाले, तो आज 36 हजार प्रतिमाह आमदनी

राधा व उसके पति शंकर की कठिन मेहनत व दृढ़ संकल्प रंग लाया और कुछ समय पहले आर्थिक तंगी झेल रहा यह परिवार आज आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में है। राधा पशुधन के रोजगार के चलते आज प्रतिदिन लगभग 30 लीटर दूध बेच रही है। जिससे उन्हें प्रतिमाह लगभग 36000 रुपये की आमदनी हो रही है। इसके साथ ही वह पशु विक्रय करके भी आय अर्जित करती हैं। अब वह क्षेत्र में एक प्रेरणादायी महिला के रूप में नाम कमा रही हैं।

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