दिनकर जोशी, सोमेश्वर
हर वर्ष श्रावण मास में भक्तों से लबरेज रहने वाला सोमेश्वर का प्राचीनतम महादेव मंदिर इस दफा सूना—सूना सा है। भक्तजन मंदिर में पूजा अर्चना व जलाभिषेक को आ तो रहे हैं, मगर कोविड—19 के संकट के चलते बारी—बारी से। हर साल श्रावण मास में लगने वाली श्रद्धालुओं भीड़ इस बार सोशियल डिस्टेंसिंग के अनुपालन में छंट गई है। यह मंदिर ऐतिहासिक महत्व का है।
अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से 40 किमी की दूरी पर कोसी नदी के तट पर बसे रमणीक स्थल सोमेश्वर में प्राचीनतम यह मंदिर समूह स्थित है। मंदिर समूह लगभग 12वीं सदी में निर्मित बताए गए हैं। मुख्य मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग के अतिरिक्त उमा, महेश, विष्णु, ब्रह्मा, लकुलीश, गणेश व अन्य देवी—देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं जबकि मुख्य मंदिर के अलावा
दो समकालीन लघु देवालय हैं। एक देवालय में शिवलिंग जबकि दूसरे में गणेश की प्रतिमा मौजूद है। ये प्रतिमाएं 11वीं से 15वीं शताब्दी के मध्य की मानी जाती हैं। महादेव मंदिर में शिवलिंग प्राचीनकाल से विराजमान है। खास बात ये है कि शिवलिंग में पानी चढ़ाने के कुछ देर बाद उसका स्वरूप सफेद सूखा दिखता है। महज सोमेश्वर ही नहीं आसपास के क्षेत्रों के श्रद्धालुओं की असीम आस्था का केंद्र यह मंदिर है। हर साल शिवरात्रि पर्व पर क्षेत्र के लगभग भक्तजन जलाभिषेक के लिए पहुंच कर भोलेनाथ से आशीर्वाद मांगते हैं। शिवरात्रि पर्व पर मुख्य बाजार में विशाल मेला लगता है। श्रावण मास में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था, मगर इस दफा कोविड—19 के प्रकोप के चलते ऐसा श्रद्धालु एक—एक कर ही मंदिर पहुंच रहे हैं। ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन हो।
सोमेश्वर : असीम आस्था का केंद्र और ऐतिहासिक है सोमेश्वर महादेव मंदिर
दिनकर जोशी, सोमेश्वरहर वर्ष श्रावण मास में भक्तों से लबरेज रहने वाला सोमेश्वर का प्राचीनतम महादेव मंदिर इस दफा सूना—सूना सा है। भक्तजन मंदिर में…