लालकुआं : गोलीकांड के आरोपी की गिरफ्तार की मांग, लोगों ने घेरी कोतवाली, पुलिस ने खदेड़ा, चार हिरासत में

सीएनई रिपोर्टर, लालकुआं लालकुआं के निकटवर्ती क्षेत्र बिंदुखत्ता में हुए बीते दिनों हुए गोलीकांड के आरोपी की घटना के चार दिन बाद भी गिरफ्तारी न…

सीएनई रिपोर्टर, लालकुआं

लालकुआं के निकटवर्ती क्षेत्र बिंदुखत्ता में हुए बीते दिनों हुए गोलीकांड के आरोपी की घटना के चार दिन बाद भी गिरफ्तारी न होने से रविवार को ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। नागरिकों ने गोलीकांड के गिरफ्तार करने की मांग को लेकर कोतवाली घेरी तो पुलिस ने भी उन्हें बलपूर्वक न केवल उन्हें बाहर खदेड़ दिया, बल्कि कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी ले लिया।

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उल्लेखनीय है कि बीते दिनों बिंदुखत्ता के हाट कालिका मंदिर के पास बिंदुखत्ता के तिवारी नगर निवासी एक युवक ने शास्त्री नगर में रहने वाले धीरज पांडे पर गोली चला जानलेवा हमला किया गया था। इस मामले में लोगों का आरोप है कि यह गोली छात्र नेता विकास सिजवाली ने चलाई थी। नागरिकों का आरोप है कि पूरे मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली संदेह के दायरे में है। तरह—तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। पुलिस द्वारा अब तक हत्या का प्रयास करने वाले छात्र नेता की गिरफ्तारी नही की गई है, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ताजा खबरों के लिए WhatsApp Group को जॉइन करें 👉 Click Now 👈

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रविवार को हालात तब काफी गरम हो गये, जब आरोपी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर तराई भाबर बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश पलड़िया के नेतृत्व में तमाम लोग लालकुआं कोतवाली में पुलिस अधिकारियों से वार्ता हुई। इस दौरान बात बिगड़ गई, जिसके बाद लोगों ने कोतवाली के बाहर ही प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों की इस हिमायत से पुलिस अधिकारियों का पारा चढ़ गया और पुलिस ने लाठी फटकारते हुए सभी लोगों को कोतवाली से बाहर खदेड़ दिया। वहीं प्रदर्शन कर रहे तराई भाबर बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश पलड़िया समेत चार युवकों को हिरासत में ले लिया गया है। बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शांति भंग की कार्रवाई की जा रही है।

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इधर बिंदुखत्ता के नागरिकों का आरोप है कि प्रदर्शन करना जनता का जायज अधिकार है। जब​ शासन—प्रशासन और पुलिस अपने कर्तव्यों का पालन करने से चूकते हैं तो लोकतांत्रिक ​अधिकारों के ​तहत जनता आंदोलन प्रदर्शन कर सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस द्वारा आरोपी की गिरफ्तारी करने के बजाए आम जन का उत्पीड़न यदि किया गया तो इससे जनता में आक्रोश और बढ़ेगा।

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