सुष्मिता थापा
बागेश्वर। पहाड़ में रोजगार के आयाम पहले ही कम हैं।जहां रोजगार के कुछ अवसर थे तो अब मशीनीकरण के दौर में वो भी छिनने लगे हैं। ऐसा ही हो रहा सालों से खड़िया माइंस की रीढ़ माने जाने वाले खच्चर मालिकों के साथ।जिले में जब से खड़िया माइंस हैं तब से इन खच्चरों का भी इनमें अहम योगदान रहा है।लेकिन वक़्त और हालात के साथ अब सब कुछ बदलने लगा है।खड़िया में जहां पहले काफ़ी मोटा मुनाफा था अब वो भी कम हो गया है। इसी कारण अब खड़िया पट्टाधारक पैसा और समय बचाने के लिए मशीनों का सहारा ले रहें हैं।रीमा क्षेत्र में खड़िया की काफ़ी पुरानी और बड़ी माइंस हैं।जिस पर हजारों खच्चर अपनी सेवाएं दे रहे थे और कई सौ परिवार की रोजी रोटी का जुगाड़ हो रहा था।जब से इन माइंस में ट्रैक्टरों से ढुलान किया जा रहा है तब से इन गरीब खच्चर मालिकों के सामने दो जून की रोटी का संकट गहरा गया है।कैसे ये गरीब अपने परिवार का भरण पोषण करें और कैसे इन खच्चरों का बैंक लोन दें।आज इसी परेशानी के साथ दूगनाकुरी अश्व कल्याण समिति के सदस्य और खच्चर मालिक अपना दुखड़ा सुनाने जिला मुख्यालय पहुंचे।उन्होंने जिलाधिकारी को अपना ज्ञापन सौंपा।खच्चर मालिकों में काफ़ी मालिक प्रवासी भी हैं जो लॉक डाउन के बाद महानगरों से लौट कर बैंक लोन से खच्चर खरीद अपना परिवार पाल रहे थे। अब इन ट्रैक्टरों के आने से उनकी रोजी रोटी में भी संकट आ गया है। देखना होगा कि अब प्रशासन इन गरीब खच्चर मालिकों को कैसे और कितनी राहत प्रदान करता है ।
बागेश्वर न्यूज: हाय रे बेचारगी! पहले कोरोना की मार और अब मशीनों का वार
सुष्मिता थापाबागेश्वर। पहाड़ में रोजगार के आयाम पहले ही कम हैं।जहां रोजगार के कुछ अवसर थे तो अब मशीनीकरण के दौर में वो भी छिनने…