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Bageshwar News: कस्तूरी मृग विहार महरूड़ी का नाम रखा जाए लमजिंगड़ा

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
बागेश्वर व पिथौरागढ़ जिलों की सीमा पर स्थित धरमघर कस्बे में कस्तुरी मृग विहार महरुड़ी का नाम बदलकर लमजिंगड़ा करने की मांग मुखर हो गई है। ग्रामीणों ने क्षेत्रीय आयुर्वेदिक संस्थान के प्रभारी को ज्ञापन भेजा है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वह उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।

वन पंचायत सरपंच धीरज सिंह मेहरा ने कहा कि वन पंचायत लमजिंगड़ा में 1974 में कस्तुरी मृग बिहार अनुसंधान केंद्र की स्थापना हुई। 2009 में ग्राम पंचायत का विभाजन हो गया और वन पंचायत भी बदल गया। मानचित्र मानक के आधार पर कस्तुरी मृग बिहार वर्तमान में ग्राम पंचायत महरुड़ी के वन पंचायत लमजिंगड़ा में आता है। जिसे लमजिंगड़ा किया जाना जरूरी है ताकि भविष्य में दोनों ग्राम पंचायतों के बीच वाद-विवाद की स्थिति होने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि अनापत्ति और प्रस्ताव भी विभाग को भेजा गया है। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अनुंसधान के सहयोग से ग्राम पंचायत लमजिंगड़ा व अन्य ग्राम पचायतों में वर्ष के दो आयुर्वेदिक शिविर भी लगाए जाएं। जिससे क्षेत्रीय जनता को आयुर्वेदिक दवाइयां और उपचार मिल सकेगा। उन्होंने बंजर भूमि में जड़ी-बूटी नर्सरी बनाने की मांग की है। जिससे स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा और गांवों से पलायन भी रूकेगा। इस दौरान पार्वती देवी, गीता देवी, कमला देवी, पूरन, प्रेम सिंह आदि मौजूद थे।

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