काबिलियत: बागेश्वर जिले के डॉ. भूपेश को इंडो एशिया बेस्ट रिसर्चर अवार्ड, उच्च शिक्षा में उत्कृष्ट शोध से कमाया नाम

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाकाबिलियत और मेहनत में दम होता है। इसके​ लिए दूर गांव या बड़े शहर में होना मायने नहीं रखता, ​बल्कि प्रतिभा कहीं भी…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
काबिलियत और मेहनत में दम होता है। इसके​ लिए दूर गांव या बड़े शहर में होना मायने नहीं रखता, ​बल्कि प्रतिभा कहीं भी हो, उभरकर सामने आ ही जाती है। यह बात कई प्रतिभाएं साबित कर चुकी हैं और अब बागेश्वर जिले के दूर ग्राम कांडा​ निवासी डॉ. भूपेश चंद्र चन्याल ने यही बात साबित की है। डा. भूपेश ने मेहनत व लगन के दम पर इंडो एशिया बेस्ट रिसर्चर अवार्ड—2020 पाया है। इंटरनेशनल स्तर पर मिलने वाला यह सम्मान उच्च शिक्षा में उत्कृष्ट रिसर्च के लिए दिया जाता है।
गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पन्तनगर में कार्यरत डॉ. भूपेश चन्द्र चन्याल को 5 अक्टूबर 2020 को ‘विश्व शिक्षक दिवस’ के उपलक्ष्य में भौतिकी विषय में उत्कृष्ट शोध के लिए “इंडो एशिया बेस्ट रिसर्चर अवार्ड 2020” से नवाजा गया। यह सम्मान इंटरनेशनल स्तर पर दिया जाता है। जो “रिसर्च एजुकेशनल टॉक्स डेली इंटरनेशनल संस्था” के आरपीएमआरई इज इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च” द्वारा प्रदान किया गया। इसकी घोषणा तो हो चुकी थी, मगर उन तक सम्मान पत्र अब पहुंचा है। उत्तराखंड में इस साल यह अवार्ड लेने वाले डॉ. चन्याल अकेले बताए गए हैं। डॉ. भूपेश चन्द्र चन्याल सैद्धांतिक भौतिकी के युवा विज्ञानी हैं। डॉ. चन्याल शुरू से ही मेहनती व लगनशील रहे हैं। इसी के बल पर उन्होंने अपनी प्रतिभा को निखारा है।
उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय एसएसजे परिसर अल्मोड़ा एमएससी और पीएचडी की। उन्होंने सीएसआर-नेट, यू-सेट, जेईएसटी-भौतिकी विषय से उत्तीर्ण की। वर्तमान में डा. भूपेश उत्तराखंड के जीबी पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के भौतिकी विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। डॉ. चन्याल ने शैक्षिक क्षेत्र में खुद को साबित करने का लक्ष्य रखा और सफलता के पायदान चढ़ते जा रहे हैं। उन्हें करीब एक दशक से अधिक वक्त का शोध अनुभव प्राप्त हो चुका है। उनका अनुसंधान क्षेत्र उच्च ऊर्जा कण भौतिकी, गणितीय और सैद्धांतिक भौतिकी है। प्रतिष्ठित राष्ट्रीय—अंतर्राष्ट्रीय पत्र—पत्रिकाओं में डॉ. चन्याल के 40 से अधिक समीक्षात्मक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं और वह अब तक ढाई दर्जन से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों व संगोष्ठियों में हिस्सा ले चुके हैं। जहां उन्होंने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। इतना ही नहीं लेखन में भी उनकी खासी रुचि है। इसी का परिणाम है कि डॉ. चन्याल ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक पुस्तक और तीन पुस्तक अध्याय प्रकाशित किए हैं और उनका नाम कई अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड के सदस्य के रूप में भी शुमार है। उन्हें यह सम्मान मिलने पर जीबी पंत विवि के भौतिकी विभागाध्यक्ष समेत स्टाफ के कई कार्मिकों व शुभचिंतकां ने खुशी व्यक्त करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी हैं।


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