Big Breaking: बागेश्वर में मिला ‘हैम्प’ का पहला लाइसेंस, भोजगण में होगी भांग की वैध खेती, जिला प्रशासन की हरी झंडी, खुलेंगे रोजगार के अवसर

दीपक पाठक, बागेश्वरजिले में रोजगार का सृजन करने के लिए बागेश्वर जिले में भांग की वैध खेती का पहला लाइसेंस हिमालयन मॉक को मिला है।…

दीपक पाठक, बागेश्वर
जिले में रोजगार का सृजन करने के लिए बागेश्वर जिले में भांग की वैध खेती का पहला लाइसेंस हिमालयन मॉक को मिला है। जिससे स्थानीय बेरोजगारों के लिए रोजगार के काफी अवसर खुलने की उम्मीद जगी है। जिला प्रशासन ने हैंप कल्टीकेशन पाइलट प्रोजेक्ट के तहत औद्योगिक एवं औद्यानिकी प्रयोजन के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप भांग की खेती को हरी झंडी दी है।

गरुड़ तहसील के भोजगण निवासी प्रदीप पंत ने गत छह माह पूर्व भांग की खेती के लिए आवेदन किया। तमाम जांच और कागजी प्रक्रिया के बाद गत बुधवार को जिला प्रशासन ने जिले का पहला लाइसेंस जारी किया है, हालांकि अभी भंडारण आदि के लिए लाइसेंस बनना शेष है। किसानों की भूमि जंगली बंदर और सूअरों के नुकसान से बंजर हो गई थी। आजीविका के लिए वह महानगरों का रुख करने लगे थे। सरकार ने भांग की वैध खेती का निर्णय लिया और जिला प्रशासन को दिशा-निर्देश जारी किए। जिसके तहत लाइसेंसधारी प्रदीप ने कहा कि वह भांग की खेती के साथ ही पहाड़ के अन्य उत्पादों पर भी काम करेंगे। इसके अलावा भांग की प्रोसेसिंग यूनिट आदि भी गांव में लगाने का लक्ष्य है। जिससे स्थानीय लोगों को अधिकाधिक रोजगार सृजन होगा। उन्होंने सतीश पांडे के नंबर 9811466094 पर संपर्क करने को कहा है।

एक नहीं अनेक काम उपजाएगी भांग की खेती
भांग के बीज में टेट्रा हाइड्रो केनबिनोल यानी नशे का स्तर 0.3 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए। नशे की स्तर की प्रामाणिकता पर जिला प्रशासन करेगा। भांग से बनने वाले सीबीडी असयल का प्रयोग साबून, शैंपू व दवाईयां बनाने में किया जाएगा। हेम्प से निकलने वाले सेलूलोज से कागज बनाने में होगा। हेम्प प्लास्टिक तैयार होगी। जो बायोडिग्रेबल होगी। वह समय के साथ मिट्टी में घुल जाएगी। हेम्प फाइबर से कपड़े बनाए जाएंगे। हेम्प प्रोटीन बेबी फूड बाडी बिल्डिग में प्रयोग होगा तो हेम्प ब्रिक वातावरण को शुद्ध करेगा। यह कार्बन को खींचता है। जिससे वातावरण में कार्बन की मात्रा कम होगी। इतना ही नहीं भांग के रेशे का प्रयोग कई देशों में सजावटी सामान बनाने के लिए किया जा रहा है। पहाड़ में भांग के रेशों से अभी भी रस्सियां बनाई जाती हैं। भांग के बीज का प्रयोग चटनी बनाने के साथ ही सब्जी और मसाले में किया जाता है।

योजना मील का पत्थर साबित होगी—जिलाधिकारी
बागेश्वर के जिलाधिकारी विनीत कुमार ने इस मामले पर कहते हैं कि प्रोजेक्ट को धरातल पर उतराने के लिए तकनीकी एवं वित्तीय मार्गदर्शन को बहुविभागीय समिति गठित की गई है। केवल ऐसी प्रजाती के हैम्प की पौधे की खेती की जायेगी, जिसमें टीएचसी की मात्रा 0.3 प्रतिशत से अधिक न हो और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए यह योजना मील का पत्थर साबित होगी।

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