सीएनई डेस्क
Ghulam Nabi Azad resigns from Congress
लगभग बीते 19 माह से लगातार चल रहे मतभेदों के बाद कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं में शामिल गुलाम नबी आजाद ने आज शुक्रवार को कांग्रेस छोड़ दी है। उन्होंने बकायदा पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक 05 पन्नों का पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी पर सीधा निशाना साधने के साथ ही तमाम ऐसी बातें लिखी हैं, जिससे कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में खलबली मची है।
गुलाम नबी आजाद ने अपने पांच पन्नों के इस्तीफे में लिखा है कि दुर्भाग्य से पार्टी में जब से राहुल गांधी की एंट्री हुई है और जनवरी 2013 में जब आपने उनको पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया, तब उन्होंने पार्टी के सलाहकार तंत्र को पूरी तरह से तबाह कर दिया। राहुल की एंट्री के बाद सभी सीनियर और अनुभवी नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया और गैर अनुभवी चापलूसों का नया ग्रुप खड़ा हो गया और यही पार्टी को चलाने लगा।
ज्ञात रहे कि आजाद काफी समय से हाईकमान के फैसलों से नाराज चल रहे थे। इसी महीने 16 अगस्त को कांग्रेस ने आजाद को जम्मू-कश्मीर प्रदेश कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन आजाद ने अध्यक्ष बनाए जाने के 2 घंटे बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया था। बताया जा रहा है कि 73 साल के आजाद अपनी सियासत के आखिरी पड़ाव पर फिर प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालना चाह रहे थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी बजाय 47 साल के विकार रसूल वानी को ये जिम्मेदारी दे दी। वानी गुलाम नबी आजाद के बेहद करीबी हैं। वे बानिहाल से विधायक रह चुके हैं। आजाद को यह फैसला पसंद नहीं आया। कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व आजाद के करीबी नेताओं को तोड़ रहा है और आजाद इससे खफा हैं।
हालांकि इससे पहले भी उनकी कांग्रेस हाईकमान से खटपट हुई, लेकिन मामला सुलझ गया था। 2008 में जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद से उनकी नाराजगी काफी बढ़ गई थी। हालांकि, 2009 में आध्र प्रदेश कांग्रेस में विवाद के बाद हाईकमान ने आजाद को समस्या सुलझाने की जिम्मेदारी दी। इसके बाद फिर वे गुड लिस्ट में शामिल हुए और केंद्र में मंत्री बने। सूत्रों के मुताबिक, इस बार कांग्रेस हाईकमान से उनका समझौता नहीं हो पाया, इस वजह से उन्होंने इस्तीफा ही दे दिया।
जी-23 ग्रुप का थे हिस्सा
गुलाम नबी आजाद पार्टी से अलग उस जी 23 समूह का भी हिस्सा थे, जो पार्टी में कई बड़े बदलावों की पैरवी करता है। उन तमाम गतिविधियों के बीच इस इस्तीफे ने गुलाम नबी आजाद और उनके कांग्रेस के साथ रिश्तों पर सवाल खड़ा कर दिया है। केंद्र ने इसी साल गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया है।
पढ़िए, आजाद द्वारा सोनिया गांधी को लिखा पूरा पत्र –