जिला सहकारी बैंक के खिलाफ दायर शिकायत निरस्त, उपभोक्ता आयोग का फैसला

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, अल्मोड़ा ने एफडी की ब्याज राशि के भुगतान व मानसिक क्षतिपूर्ति को लेकर जिला सहकारी बैंक के…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, अल्मोड़ा ने एफडी की ब्याज राशि के भुगतान व मानसिक क्षतिपूर्ति को लेकर जिला सहकारी बैंक के खिलाफ की गई शिकायत को निरस्त कर दिया है।

इस मामले में शिकायतकर्ता की ओर से जिला सहकारी बैंक के विरूद्ध एक 90 हजार की की एफडी का तीन सालों में 18 प्रतिशत ब्याज दर के हिसाब से भुगतान व मानसिक क्षतिपूर्ती की शिकायत दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ता ने उपभोक्ता आयोग में शाखा प्रबंधक, जिला सहकारी बैंक लमगड़ा और सचिव जिला सहकारी बैंक अल्मोड़ा को पक्षकार बनाया था।

मामले के अनुसार शिकायतकर्ता प्रेम राम पुत्र मदन राम निवासी ग्राम मलाड़ी, पोस्ट बमनस्वाल, लमगड़ा, अल्मोड़ा ने उपभोक्ता आयोग अल्मोड़ा में 19 नवंबर, 2019 को एक परिवाद प्रस्तुत किया था। जिसमें उसने जिला सहकारी बैंक लमगड़ा के शाखा प्रबंधक व सचिव जिला सहकारी बैंक अल्मोड़ा को पक्षकार बनाया।

जिसमें उसके द्वारा अपनी जमा धनराशि रूपये 90 हजार का 14 जनवरी 2015 को से 14 जनवरी 2018 का ब्याज रूपये 27 हजार 544 व 14 जनवरी 2018 से भुगतान की तिथि तक 18 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज तथा मानसिक क्षतिपूर्ति रूपये 20 हजार दिलवाने की याचना की। शिकायतकर्ता के द्वारा कहा गया था कि उसने 14 जनवरी 2015 को तीन वर्ष के लिए 9 प्रतिशत ब्याज पर एफडी बनवाई थी। जिस पर ब्याज 27 हजार 544 रूपये निकलना था। शिकायतकर्ता ने शिकायत के समर्थन में एफडीआर की रसीद व विपक्षी बैंक को प्रेषित पत्र की प्रति प्रस्तुत की।

आयोग द्वारा दोनों पक्षकारों के अधिवक्तागणों की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन किया। शिकायतकर्ता द्वारा एफडीआर बनवाने का दिन 14 जनवरी 2015 बतलाया गया, जबकि विपक्षी के अनुसार शिकायतकर्ता का खाता 5 फरवरी, 2015 को खोला गया। अहम बात यह रही कि एफडीआर में खाता संख्या 13 अंकों का है, जबकि बैंक के अनुसार कम्प्यूटराइज्ड होने पर 15 अंकों में एफडीआर बनती है। जिसमें एफडीआर की खाता संख्या संदिग्ध है। निर्णय में कहा गया कि शिकायतकर्ता की शिकायत में यह स्पष्ट नहीं है कि उनके द्वारा एफडीआर किस तरह से बनवाई गई है। जिस दिन शिकायतकर्ता ने एफडीआर बनवाई थी, उस दिन उनका बैंक में खाता नहीं था।

उपरोक्त समस्त पत्रावलियों का अवलोकन करने के बाद आयोग ने यह राय दी कि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत सिद्ध करने में नाकाम रहा। जिस कारण उसकी शिकायत निरस्त कर दी गई। इस मामले में विपक्षीगणों की ओर से उनके अधिवक्ता रोहित कार्की द्वारा प्रबल पैरवी की गई। आदेश में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, अल्मोड़ा के अध्यक्ष मलिक मज़हर सुलतान व सदस्य चंचल सिंह बिष्ट के हस्ताक्षर हैं।

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