भाग्य EVM में बंद, क्या चल पाया Modi magic, Voting में कौन अव्वल—कौन फिसड्डी

सीएनई रिपोर्टर, देहरादून
उत्तराखंड विधानसभा की 70 सीटों के लिए मतदान संपन्न होने के बाद अब 632 प्रत्याशियों के भाग्य अब ईवीएम की मशीनों में बंद हैं। चुनाव परिणामों की घोषणा के लिए 10 मार्च का इंतजार करना पड़ेगा।
अब जबकि मतदान प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है तो मतदान के प्रतिशत और हार—जीत के गुणा—भाग पर भाजपा—कांग्रेस लगी हुई है। ज्ञात रहे कि विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बहुमत हासिल किया था। 2017 के चुनाव में मोदी लहर ने भाजपा की जीत सुश्चित की थी, लेकिन क्या इस बार भी मोदी मैजिक चलेगा या फिर चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होंगे। निष्पक्ष सोच रखने वाले राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है इस बार 2017 की तरह मोदी लहर नहीं देखी गई है। News WhatsApp Group Join Click Now
यद्यपि यह भी सच है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड में हुई सभाओं में अपार भीड़ विगत की तरह ही उमड़ी थी, लेकिन बहुत से मतदाता ऐसे भी हैं, जो मोदी को केंद्र में तो देखना चाहते हैं, लेकिन भाजपा की मौजूदा सरकार से असंतुष्ट हैं। अतएव कांग्रेस को उम्मीद है कि विधायकों के चुनाव में मोदी प्रशंसक जनता ने उसके पक्ष में मतदान किया होगा। वहीं भाजपा का अब भी मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं का व्यापक असर हुआ है और 10 मार्च को भाजपा बहुमत से फिर सरकार बनायेगी।
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याद दिला दें कि 2017 के चुनाव में 65.60 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार का प्रतिशत भी लगभग 2017 के करीब ही रहा है। 2017 में 70 विधानसभा सीटों में से 57 सीटें भाजपा के खते में कई थी, जबकि कांग्रेस सिर्फ 11 सीटों पर ही संतोष करने को मजबूर हुई। इस बार करीब 65.10 प्रतिशत मतदान बताया जा रहा है, जिसमें अंतिम रिपोर्ट आने पर मामूली परिवर्तन भी हो सकता है।
उत्तराखंड में हुए विगत विधानसभा चुनावों पर चर्चा करें तो 2002 में 54.34, 2007 में 59.50, 2012 में 66.85 तथा 2017 में 65.60 प्रतिशत मतदान हुआ था। हरिद्वार जनपद इस बार 2022 में मतदान में सबसे आगे रहा है। यहां 74.06 प्रतिशत मतदान यहां की कुल 11 विधानसभा सीटों में हुआ है, जबकि अल्मोड़ा में सबसे कम मतदान का प्रतिशत रहा है। अल्मोड़ा में 52.82 प्रतिशत मतदान कल देर शाम तक दर्ज किया गया था। वहीं यदि पहाड़ी जनपदों पर नजर डालें तो उत्तरकाशी टॉप कर गया है। यहां 67.32 प्रतिशत मतदान रहा है।
पहाड़ी जनपदों पर यदि विस्तार से नजर डाली जाये तो अल्मोड़ा 52.82, बागेश्वर 61.8, चमोली 60.32, चंपावत 61.83, देहरादून 62.40, नैनीताल 65.84, पौड़ी 53.14, पिथौरागढ़ 59.44, रुद्रप्रयाग 60.49, टिहरी 55.57 तथा उत्तरकाशी में 67.32 प्रतिशत मतदान दर्ज है।
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आचार संहिता के उल्लंघन पर 203 मुकदमे
विधानसभा चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए तमाम जनपदों में जिला प्रशासन व पुलिस ने सराहनीय भूमिका निभाई। इस बार आचार संहिता का उल्लंघन करने पर कुल 203 मुकदमें दर्ज हुए हैं। सर्वाधिक 51 मुकदमे देहरादून में दर्ज हुए हैं। बागेश्वर जिले में केवल एक मुकदमा दर्ज हुआ है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामले में चमोली जिले में 5, देहरादून में 51, हरिद्वार में 32, पौड़ी में 9 मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा पिथौरागढ़ में 11, ऊधमसिंह नगर में 47, चंपावत में तीन, रुद्रप्रयाग में चार, उत्तरकाशी जिले में 9, नैनीताल में 24, अल्मोड़ा जिले में तीन, बागेश्वर में एक और टिहरी में चार मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जिन मामलों में मुकदमें दर्ज किए गए हैं, उनमें 92 मामले covid को लेकर जारी guidelines के उल्लंघन से संबंधित भी हैं।
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देखने वाली बात तो यह रही कि आम जन के मुद्दों से अधिक इस चुनाव में आरोप—प्रत्यारोपों का दौर, सोशल मीडिया के माध्यम स्टिंग व अभद्र टिप्पणियों का दौर खूब चला। कांग्रेस व भाजपा अपनी—अपनी उपलब्धियों को गिनाते रहे, लेकिन जहां कांग्रेस का फोकस उत्तराखंड में 03 मुख्यमंत्री बदले जाने का रहा, वहीं भाजपा ने भी कई तीखी व व्यक्तिगत टिप्पणियां कीं। कांग्रेस ने उत्तराखंड के संदर्भ में तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा का नारा देकर भाजपा को कई बार असहज बना दिया। थीम सांग्स की भी भरमार इस चुनाव में देखी गई। लगभग हर राजनैतिक दल ने अपने—अपने गीत बना जनता को प्रभावित करने का प्रयास किया।
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