सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
यहां डिग्गी बंगला पल्टन बाजार निवासी एडवोकेट हरीश जोशी के निधन पर शहर में शोक की लहर दौड़ गई है। विभिन्न संगठनों ने उनकी असामायिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे अपूरणीय क्षति बताया है।
उलोवा की शोक सभा में वक्ताओं ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश चंद्र जोशी का निधन एक सामाजिक क्षति है। वे अधिवक्ता व्यवसाय के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेते रहे। वरिष्ठ अधिवक्ता जगत रौतेला ने कहा कि छात्र जीवन में डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के सानिध्य में रहने के कारण उनका जन आन्दोलनों मे बड़ी भूमिका रही। वे उत्तराखण्ड संघर्ष वाहनी के संस्थापक सदस्य रहे। छात्र जीवन में विभिन्न जन संघर्षों में उनकी योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी के स्थापना में उनका अमूल्य योगदान रहा। वकालत पढ़ने के बाद जब वह वकालत के पेशे में आए तो जन आंदोलनों में शामिल साथियों के मुकदमे वह बिना कोई फीस लिए ही लड़ा करते थे। संपन्न घर में पले बढ़े तथा शहरी परिवेश में रहने के बावजूद उनका दृष्टिकोण बहुत व्यापक था। कमजोर वर्ग के हित में खड़े होने वाले डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के कई सहयोगियों में से वह एक प्रमुख सहयोगी थे। उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी से वे लंबे समय तक जुड़े रहे। उत्तराखंड लोक वाहिनी के महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि बागेश्वर के जखेटा मे जब पुलिस की सनक के कारण एक फौजी का परिवार तवाह हो गया तब हरीश जोशी ने ना केवल उस परिवार का मुदमा लड़ा अपितु उत्पीड़ित फौजी की सेवायें भी बहाल कराई। दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि वर्तमान मे हरीश जोशी पूरी तरह राजनैतिक गतिविधियों से दूर रहकर आध्यात्मिक कार्यों में लदे थे। विगत कई वर्षों से वे सांई बाबा मन्दिर मे योग शिविरो का संचालन कराते रहे। जंगबहादुर थापा ने कहा कि दशहरा महोत्सव के प्रमुख कार्यकर्ता के तौर पर वे हमेशा याद आयेंगे। शोक सभा में अजय मित्र, हरीश मेहता, जय मित्र, रेवती बिष्ट, शुशीला धपोला, कुणाल तिवारी, अजय मेहता, हारिस मुहम्मद, गुसांई दत्त पालीवार आदि शामिल थे।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने यहां जारी बयान में कहा कि हरीशी जोशी उकने अग्रज की तरह थे। जब उन्होंने अल्मोड़ा महाविद्यालय में प्रवेश लिया था उन्हीं दिनों श्री जोशी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई कर अल्मोड़ा में वकालत शुरू की थी।
हरीश जोशी जी शमशेर सिंह बिष्ट के मित्रों में से थे। आपातकाल से नशा नहीं रोज़गार दो आंदोलन के दौर तक उनके घर में हमेशा हमारा आना—जाना लगा रहता था। उनके घर (चेंबर) में उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी की बैठक होती थी। उन दिनों हमारे समूह की कानून समस्याओं, न्यायालय में आंदोलनकारियों पर चलने वाले मुकदमों की नि:शुल्क पैरवी भी हरीश जोशी और एडवोकेट अश्विनी कुमार तिवारी करते थे। पीसी तिवारी ने कहा कि उनके परिवार की तपस्या से अल्मोड़ा में मंगलदीप जैसे विद्यालय की स्थापना हो पाई थी। नशा नहीं रोज़गार दो आंदोलन में भी इनकी प्रमुख भूमिका थी। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश जोशी अल्मोड़ा में आकर्षक मेघनाथ के पुतले से आज के दशहरा महोत्सव का प्रारंभ करने वाले मुख्य लोगों में थे। अल्मोड़ा में एडम्स के पास सांई भगवान मंदिर के निर्माण में उनकी प्रमुख भूमिका रही है।