नई दिल्ली। कोरोना वायरस की लगातर बढ़ती लहर के बीच देश के चिकित्सकों के सबसे बड़े संस्थान आईएमए ने मोदी सरकार को सख्त लहजों में चेतावनी दी है कि अब कम्पलीट लॉकडाउन के अलावा उनके पास कोई विकल्प नही है। अतएव बिना देरी किये फैसला लें।
आईएमए ने बकायदा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा है कि अब वक्त आ गया है कि वह नींद से जाग जाये। संगठन का आरोप है कि देश के सबसे होनहार चिकित्सा विज्ञानियों की राय को दरकिनारा कर कम्पलीट लॉकडाउन से सरकार परहेज कर रही है।
आईएमए ने यहां तक कहा है कि देश में फैसले लेने वाले लोगों को जमीनी हकीकत से कुछ लेना देना नही है। आईएमए का आरोप है कि उनके प्रस्ताव को केंद्र ने कूड़े के ढेर में डाल दिया है।
आईएमए का कहना है कि अलग-अलग लॉकडाउन से कुछ नहीं होगा। अलग-अलग राज्य अपने-अपने स्तर पर लॉकडाउन लगा रहे हैं, इससे कोई फायदा नहीं होने वाला। केंद्र सरकार से IMA ने यह भी रिक्वेस्ट की कि चिकित्सा व्यवस्था को सुधारा जाए, मेडिकल टीम को समय और सुविधाएं दी जाएं ताकि वो बढ़ते हुए कोरोना मामलों को सही तरीके से संभाल सकें।
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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association – IMA) ने केंद्र सरकार से पूछा है कि भारत सरकार ने वैक्सीनेशन प्रक्रिया को इतनी देर से क्यों शुरू किया ? क्यों भारत सरकार वैक्सीन को इस तरीके बांट पाई ताकि वह हर किसी तक पहुंच सके?
निश्चित रूप से आईएमए के इन सवालों ने जहां राष्ट्रीय स्तर पर खलबली पैदा कर दी है, वहीं केंद्र सरकार इस मसले पर मौन साधे है।
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