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माता-पिता में विवाद, हाईकोर्ट ने रखा तीन साल की बच्ची का नाम

कोच्चि | केरल के कोच्चि में तीन साल की बेटी के नाम को लेकर माता-पिता के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। दोनों के बीच एक नाम पर सहमति नहीं बनी तो मामला कोर्ट पहुंचा। 30 सितंबर को केरल हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बच्ची का नाम तय किया।

कोर्ट ने कहा – बच्चे के नाम में देरी से उसके भविष्य पर असर पड़ रहा था। वह सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से पिछड़ रही थी। माता-पिता की लड़ाई से जरूरी बच्चे का हित है।

कोर्ट ने कहा – बच्ची का नाम रखने के लिए हम मजबूर

केरल हाईकोर्ट ने बच्ची का नाम चुनने के लिए उसके माता-पिता के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल किया। पीठ ने कहा, हम मजबूर हैं, माता-पिता के बीच विवाद को सुलझाने के प्रयास में समय लगेगा और इस बीच, नाम न होने से बच्ची तमाम सुविधाओं से वंचित रह जाएगी।

ऐसे में कोर्ट माता-पिता के अधिकारों से ऊपर बच्ची के नाम को तरजीह देती है। नाम चुनते समय, अदालत ने बच्चे के कल्याण, सांस्कृतिक विचारों, माता-पिता के हितों और सामाजिक मानदंडों जैसे फैक्टर्स पर विचार किया। आखिर में उद्देश्य बच्चे की भलाई है।

बर्थ सर्टिफिकेशन में नाम न होने से शुरु हुआ विवाद

बच्ची के नाम का मामला तब उठा, जब मां अपनी बेटी का स्कूल में एडमिशन कराने गई। स्कूल प्रशासन ने बच्ची का बर्थ सर्टिफिकेशन मांगा। उसके जन्म प्रमाण पत्र पर कोई नाम नहीं था। स्कूल ने बिना नाम के बर्थ सर्टिफिकेशन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

जिसके बाद मां रजिस्ट्रार ऑफिस गई जहां बच्ची के बर्थ सर्टिफिकेशन में ‘पुण्य नायर’ नाम लिखने को कहा। लेकिन रजिस्ट्रार ने नाम दर्ज करने से मना कर दिया और कहा इसमें माता-पिता दोनों की उपस्थिति जरूरी है। चूंकि माता-पिता अलग हो चुके थे। इस मुद्दे पर एक राय बनाने में असफल रहे, क्योंकि पिता बच्चे का नाम ‘पद्मा नायर’ रखना चाहते थे।

कोर्ट का फैसला – बच्ची के नाम में जुड़े पिता का नाम

अदालत ने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद कहा कि मां, जिसके साथ बच्ची रह रही है। उसके द्वारा दिए गए नाम को महत्व दिया जाना चाहिए, लेकिन यह भी कहा कि पिता का नाम भी शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि समाज पितृ सत्तात्मक है।

आखिर में दोनों पक्षों के बीच विवादों को खत्म करने के लिए कोर्ट ने बच्ची को ‘पुण्य’ नाम दिया और साथ ही पिता का नाम भी शामिल करने का आदेश दिया। अदालत ने फैसला सुनाया, ‘नायर नाम के साथ बालगंगाधरन भी जोड़ा जाए।’

बच्चे के जन्म के 21 दिन के अंदर बर्थ सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करना जरूरी

बच्चे के जन्म के 21 दिन के अंदर बर्थ सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करना जरूरी होता है। लेकिन अगर किसी भी वजह से पेरेंट्स उस टाइम पीरियड के अंदर रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं तो बाद में वो डिले रजिस्ट्रेशन प्रोविजन पंजीकरण अधिनियम की धारा 13 के तहत रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। लेकिन 21 दिन के बाद और 30 दिनों के भीतर अप्लाई करने पर 2 रुपए लेट फाइन देना होगा।

अगर आवेदक जन्म प्रमाण पत्र के लिए जन्म के 30 दिनों के बाद लेकिन जन्म के एक साल के भीतर आवेदन करता है, तो उन्हें संबंधित अधिकारी से हलफनामे के साथ लिखित अनुमति और 5 रुपए जुर्माना भरना होगा। और अगर कोई आवेदक जन्म प्रमाण पत्र बनने के एक साल के भीतर आवेदन देने में विफल रहता है, तो उन्हें वेरिफिकेशन के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज मजिस्ट्रेट के पास जमा करने होंगे और 10 रुपए लेट फाइन भरना होगा।

बर्थ सर्टिफिकेट अब बेहद जरूरी, सरकार ने बनाया नया कानून

केंद्र सरकार ने ‘बर्थ और डेथ रजिस्ट्रेशन अधिनियम 2023’ में संशोधन किया है। इस मानसून सेशन में यह बिल पास हुआ था। जिसे राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल गई है। अब बर्थ सर्टिफिकेट आधार कार्ड की तरह ही जरूरी दस्तावेज बन गया है। Click Now

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