👉 राज्य के 86 हजार 842 कार्मिकों की भावनाएं हुई आहत
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव व पूर्व दर्ज़ा राज्य मंत्री एडवोकेट केवल सती ने कहा कि उत्तराखंड सरकार के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का उत्तराखंड प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने से इंकार करना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा कहकर उन्होंने राज्य के 86 हजार 842 कर्मचारियों की भावनाओं को आहत किया है, जो पुरानी पेंशन योजना के दायरे में हैं।
सती ने कहा कि पांच राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने अपने वहां कर्मचारियों के हित में पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है। राजस्थान सबसे पहला प्रदेश है जिसने सबसे पहले ये योजना लागू की।
2004 से बंद है पुरानी पेंशन योजना
सती ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना को 01 अप्रैल 2004 से बंद कर दिया गया है। वर्ष 2003 में एनडीए की सरकार में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बंद कर नई पेंशन योजना की शुरुआत की। केन्द्र सरकार ने अप्रेल 2005 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया था, इसकी जगह नई पेंशन योजना लागू की गई।
जानिए पुरानी व नई पेंशन योजना का अंतर
सती ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी। नई पेंशन योजना में कर्मचारियों की सैलरी से 10 प्रतिशत की कटौती की जाती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। सती ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा होती थी वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा ही नहीं है।
सती ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है। जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। जबकि नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें आपके द्वारा एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है। पुरानी पेंशन में ऐसा कोई भी प्राविधान नहीं था।
चंद हजार रूपये नहीं, बल्कि बुढ़ापे की चादर है पेंशन
सती ने कहा कि पेंशन सिर्फ चंद हजार रुपए नहीं होते बल्कि एक चादर होती है बुढ़ापे की, जिसमें एक रिटायर्ड आदमी अपनी इज्जत को ढकता है। ताकि उसके बच्चे उसे बोझ ना समझें। सती ने कहा कि सरकार को कर्मचारियों की ताकत का एहसास नहीं है राज्य के 86842 कर्मचारी जो पुरानी पेंशन योजना के दायरे में हैं तथा उनके परिवारजन आने वाले चुनावों में कर्मचारि विरोधी सरकारों को सत्ता से उखाड़ फेंकेंगे।उत्तराखंड सरकार को कर्मचारियों के हित में पुरानी पेंशन योजना को लागू करना चाहिए।