सितारगंज। डॉ गणेश उपाध्याय किसान नेता व पूर्व दर्जा राज्यमंत्री व प्रधानमंत्री को भेजे अपने मेल में कहा कि आप जब उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में आए थे। आपने कहा कि डबल इंजन की सरकार को चुनो व 2022 तक किसानों की दूनी आय की जाएगी और उत्तराखंड की जनता ने आप पर भरोसा किया। लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पढ़ रहा है उत्तराखंड के 13 किसानों ने आत्महत्या कर ली उत्तराखंड हाई कोर्ट के डबल बेंच का ऐतिहासिक कोर्ट का फैसला आया जिसमें किसानों के लिए डॉ स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने व फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य 3 गुना करने के निर्देश दिए थे।
प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत लेने का निर्देश दिया गया था। उत्तराखंड सरकार ने मात्र किसान आयोग का गठन कर इतिश्री कर ली। अगर सरकार ने इसे इस फैसले को लागू किया होता निश्चित तौर पर भी बेमौसम बरसात की वजह से जो फसल बर्बाद हो रही है प्रधानमंत्री बीमा योजना से अच्छा मुआवजा मिलता। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सूचना के अधिकार के तहत 2016 से लेकर 2018 के बीच 580607 किसानों, भारत सरकार व प्रदेश सरकार योगदान सहित विगत 3 सालों के अंदर 534 करोड रूपया जमा किया गया और अन्नदाताओं को मात्र 7 करोड़ 95 लाख 77 लाख मिला। बीमा कंपनियों को लगभग 526 करोड़ का लाभ पहुंचा। उत्तराखंड के वर्तमान में शुगर फैक्ट्री में किसानों का भुगतान 600 करोड़ पर का बकाया है, विगत वर्षों का गन्ने का 200 करोड़ का भुगतान नहीं हो पाया है।
वह 7 माह बीत गए है 3 करोड़ 25 लाख धान का, मुख्यमंत्री कहते थे कि 24 घंटे के अंदर धान तोलने पर तुरंत भुगतान कर दिया जाएगा। डॉ उपाध्याय ने बताया कि 5 मई को पुनः नैनीताल हाईकोर्ट के खंडपीठ में गन्ने की भुगतान के संबंध में बहस होगी। आज जो कार्य सरकार को करना चाहिए था, अन्नदाता बाध्य होकर उच्च न्यायालय में जाकर फसलों के भुगतान निर्णय की अपेक्षा कर रहा है। अब ऐसे वक्त में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन हुए आज 42 दिन पूरा होने को है। देश के अंदर कोई भी उत्पादन नहीं हो पा रहा है, केवल देश में अन्नदाताओं की वजह से कोई भी आदमी भूखा नहीं है। इसलिए देश का अन्नदाता 70 साल से देश को हमेशा खुशी-खुशी अन्य खिलाता रहा है। लेकिन सरकारें ने कतई ध्यान नहीं दिया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि 6000 प्रति वर्ष किसानों के खाते में दिया जा रहा हैं।
इससे कुछ नहीं हो पा रहा है, क्योंकि सरकार की नाकामी से समय में भुगतान नहीं हो पा रहा है किसान क्रेडिट कार्ड से 3 लाख न्यूनतम बैंक से लोन लेता है साल भर के अंदर ब्याज 27 हजार देता है और आपके द्वारा 6 हजार साल भर में दिया जाता है इस प्रकार से किसान 21 हजार रु एक वर्ष नुकसान हो रहा है। देश के 50 टॉप डिफॉल्टर का 68 हजार करोड रुपए बट्टे खाते में डाल कर माफ किया गया है। यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सूचना के अधिकार के तहत मांगने पर प्राप्त हुआ है इसलिए देश के प्रधानमंत्री मोदी से हम निवेदन करते हैं, आज उत्तराखंड में 2019 सूचना के अधिकार के तहत 5 लाख 22 हजार आच्छादित कृषक है प्रदेश के अन्नदाताओं का एक सौ करोड़ रुपिया की सहायता कर, ब्याज माफ करना चाहिए। देश का दुखी अन्नदाता अपनी खेती को खुशी-खुशी से कर सके।
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