सीएनई रिपोर्टर
देश में एक आई.पी.एस. अफसर की अलग ही धाक है। अगर कोई IPS किसी जिले में नयी पोस्टिंग पाता है तो उसे सलाम ठोकने तमाम राजनेताओं से लेकर विभिन्न संस्थाओं व संगठनों से जुड़े लोगों का पहुंचना आम बात है।
निश्चित तौर पर एक नये जिले में पोस्टिंग आईपीएस अफसर में भी एक नई उम्मीद बनती है कि वह अपने कार्यकाल को सफलतापूर्वक अमुख जनपद में पूरा करेगा। बावजूद इसके, क्या आप जानते हैं कि उप्र. राज्य का एक जिला ऐसा है, जहां कोई आईपीएस अफसर जाना ही नही जाता। जाना तो दूर साहब, यहां पोस्टिंग होते ही ज्वाइन करने से मना कर देता है।
चलिये अब आपको पूरी कहानी विस्तार से बताते हैं। उप्र. का प्रतापगड़ ऐसा जिला है, जहां पूरी तरह राजनीति हावी है। राजनेता भी यहां सामान्य नही, बल्कि सत्ताधारी और विपक्ष के ऐसे कद्दावर नेता लोग हैं, जिनकी उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक की सियासत में पूरी दखलंदाजी रहती है।
अकसर आपने यू ट्यूब में छुट्भइया नेताओं से पुलिस के टकराव के वीडियो देखे होंगे। पता नही कितने पुलिस के सिंघमों की आपने जय—जयकार की होगी, लेकिन क्या मजाल कि प्रतापगढ़ में कोई सिंघम टिक के दिखा दे।
दरअसल, प्रतापगढ़ में आने वाले आईपीएस अफसरों की यदि बात करें तो यह वह जिला है जहां सबसे ज्यादा एसपी हटाए गए हैं। हालत यह है कि कई एसपी तो महज 5 दिन बाद ही बदल दिये गये तो कोई ढाई माह के भीतर जनपद छोड़ गया।
कहानी यह है कि उत्तर प्रदेश की सियासत का प्रतापगढ़ सबसे मजबूत जिला है। यह वह इलाका है जहां कुंडा वाले राजा भैया, योगी सरकार में मंत्री मोती सिंह और कांग्रेस के प्रमोद तिवारी जैसे दिग्गज नेताओं का दबदबा है। अब भला इतने बड़े नेताओं की दादागिरी के बीच कौन सा स्वाभिमानी पुलिस कप्तान यहां रहना चाहेगा ?
बता दें कि बीते 30 साल का रिकार्ड है कि प्रतापगढ़ में 67 IPS एसपी बनाकर भेजे जा चुके हैं। वर्तमान योगी आदित्यनाथ सरकार के साढ़े चाल साल के कार्यकाल में ही 11 आईपीएस एक के बाद एक यहां पदार्पण कर चुके हैं।
सूत्र बताते हैं कि इस बीच डीजीपी मुख्यालय में चर्चा चल रही है कि अब किसी आईपीएस को पुलिस कप्तान बना यहां भेजा जाये।
इधर प्रतापगढ़ रेंज के आईजी रहे रिटायर्ड आईपीएस आरके चतुर्वेदी के अनुसार प्रतापगढ़ एक ऐसा जिला है जहां पर प्रदेश की सरकार के साथ-साथ वहां के क्षत्रप नेताओं की भी सरकारें चलती हैं। प्रतापगढ़ जिले में राजा भैया का अपना इलाका कुंडा है, प्रमोद तिवारी का अपना रामपुर वाला इलाका है और मौजूदा सरकार के मंत्री मोती सिंह का अपना एक क्षेत्र है। इन बाहुबली नेताओं का बढ़ता हस्तक्षेप ही पुलिस अधिकारियों का मनोबल तोड़ता है। यही कारण है कि यहां कोई नही आना चाहता।
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