Uttarakhand : किसी दुश्मन को भी न हो Black fungus, मरीजों को उपचार में खर्च करनी पड़ रही भारी धनराशि, गरीबों की पहुंच से बाहर हैं महंगे Injection, आयुष्मान में भी कवर नही
देहरादून। कोरोना महामारी के दौर में कोविड के साथ दहेज में आ गया ब्लैक फंगस इतना खराब रोग है कि ईश्वर से प्रार्थना कीजिए कि यह किसी दुश्मन को भी न हो। जिसका सबसे अहम कारण यह है कि किसी गरीब को अगर यह हो गया तो वह बिना इलाज के ही मर जायेगा, क्योंकि उसके पास तो इतनी भारी—भरकम रकम चुकाने के लिए नही हो पायेगी।
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आपको बता दें कि Black fungus के उपचार की एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें जहां मरीज को कई तकलीफों के दौर से गुजरना पड़ता है, वहीं उसके उपचार में लाखों रूपया खर्च हो जाता है। अमूमन इसमें 75 से लेकर 100 तो इंजेक्शन ही लगते हैं और इन्ही में करीब 5 लाख खर्च हो जाते हैं। बाकी अगर सर्जरी करानी पड़ गई तो किसी गरीब का घर भी बिकने की नौबत आ सकती है।
सबसे दु:खद और कष्टकारी बात तो यह है कि इसके उपचार में इस्तेमाल होने वाला इंजेक्शन आयुष्मान योजना के तहत कवर भी नही हो पा रहा है। यानी इसे मरीज के परिजनों को अपने पल्ले से खरीदना पड़ेगा।
Shri Mahant Indiresh Hospital Patel Nagar के सांस एवं छाती रोग विभाग के विभागाध्यक्ष एवं Senior Palmonologist Dr. Jagdish Rawat ने बताया कि ब्लैक फंगस में दो तरह के इंजेक्शन मरीजों को दिए जाते हैं। एक Injection जो लगभग 15 दिन तक हर रोज एक डोज दी जाती है, वह ढाई सौ से 500 रुपये तक में आता है, जबकि दूसरा Injection जो मरीज के वजन के हिसाब से दिया जाता है।
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एक दिन में लगभग Five injections अभी तक दिए जाते हैं। इस तरह से लगभग एक मरीज को 75 से 100 इंजेक्शन इस बीमारी में दिए जाने की गाइडलाइन है। ऐसे में इंजेक्शन पर ही लगभग पांच लाख रुपये खर्च हो जाते हैं।
वहीं, Health care center पंडितवाड़ी के Senior Breathing & Thoracologist (Pulmonologist) Dr. Parvez Ahmed ने बताया कि ब्लैक फंगस में दो तरह के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। जिसमें Liposomal amphotericin B antifungal drugs को आसुत जल में ग्लूकोस के साथ मरीज को दिया जाता है। जो धीरे-धीरे मरीज के शरीर में चढ़ता है।
60 किलो के मरीज को एक बार में 05 Mg का एक injection दिया जाता है। ऐसे मरीज को पांच से Six injections एक दिन में दिए जाते हैं। जबकि दूसरा जो सामान्य इंजेक्शन है वह एक दिन में 15 से 20 तक दिया जाता है। अगर Black fungus दिमाग या आंख में Infectionकर गया हो तो इसकी खुराक दोगुनी करनी पड़ती है।
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वहीं, Nodal Officer and Senior Pulmonologist Dr. Anurag Agarwal of Corona, Government Doon Medical College Hospital ने बताया कि Black fungus में फिलहाल दो तरह के इंजेक्शन मरीजों को दिए जा रहे हैं। एक जो सस्ता है वह एक से दो हफ्ते तक रोजाना एक डोज देनी होती है। जबकि जो महंगा वाला Injection है वह पांच वायल तक भी देनी पड़ सकती है।
अलबत्ता कोरोना महामारी घोषित होने के बाद वर्तमान में उत्तराखंड प्रदेश के दर्जन भर अस्पतालों में इसका उपचार किया जा रहा है। यह बात तो संतोषप्रद है, लेकिन जब तक इसके लिए अस्पतालों में नि:शुल्क इंजेक्शन उपलब्ध नही कराये जाते तो मरीज व उसके परिजनों को भारी आर्थिक संकट के दौर से उपचार के दौरान गुजरना पड़ सकता है।
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