नई दिल्ली। कृषि कानून को लेकर किसानों के आंदोलन पर केंद्र सरकार के रवैये से सुप्रीम कोर्ट निराश है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर चल रही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि कानून आप होल्ड करेंगे या फिर हम करें। कोर्ट ने पूछा कि क्या यह नया कृषि कानून कुछ दिन के लिए होल्ड नहीं किया जा सकता, क्योंकि हमें नहीं पता है कि किसानों और सरकार के बीच क्या बातचीत चल रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम देने को कहा है। ताकि कमेटी में उन्हें शामिल किया जा सके। हमारे लिए लोगों का हित जरूरी है, अब कमेटी ही बताएगी कि कानून लोगों के हित में हैं या नहीं। अब इस मामले को कल फिर सुना जाएगा, कमेटी को लेकर भी कल ही निर्णय हो सकता है।
अदालत में सरकार की ओर से कहा गया कि अदालत सरकार के हाथ बांध रही है, हमें ये भरोसा मिलना चाहिए कि किसान कमेटी के सामने बातचीत करने आएंगे। किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं, ऐसे में कमेटी के सामने जाना है या नहीं हमें ये फैसला करना होगा। जिसपर अदालत ने कहा कि ऐसा माहौल ना बनाएं कि आप सरकार के पास जाएंगे और कमेटी के पास नहीं। सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों को कमेटी में आने का भरोसा देना चाहिए।
हालांकि, किसान महापंचायत की ओर से कहा गया कि उन्हें दिल्ली नहीं आने दिया जा रहा है। वो कमेटी के सुझाव का स्वागत करते हैं और प्रदर्शन को शांतिपूर्ण ढंग से ही जारी रखेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रदर्शन जैसे चल रहा है, चलता रहे। हम बस ये अपील करेंगे कि सड़क की जगह किसी और स्थान पर बैठें। अगर किसी की जान जाती है या संपत्ति को नुकसान होता है, तो जिम्मेदारी कौन लेगा? चीफ जस्टिस ने किसान संगठन के वकील से कहा कि आप प्रदर्शन में बैठे बुजुर्गों और महिलाओं को मेरा संदेश हैं, और कहें कि चीफ जस्टिस चाहते हैं कि आप घर चले जाएं।
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