खुलासा : सरकारी नौकरी, बढ़िया वेतन पर, फिर भी सालों से डकार रहे गरीबों का राशन

सीएनई रिपोर्टर, देहरादून पेश से सरकारी शिक्षक, बैंक कर्मचारी, सेना के जवान, पुलिस के जवान, लाखों के कारोबारी सालों से गरीबों का राशन खाते आ…

सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता

सीएनई रिपोर्टर, देहरादून

पेश से सरकारी शिक्षक, बैंक कर्मचारी, सेना के जवान, पुलिस के जवान, लाखों के कारोबारी सालों से गरीबों का राशन खाते आ रहे हैं। उत्तराखंड शासन द्वारा जैसे ही ‘अपात्र को न, पात्र को हां’ नाम से अपात्र के राशन कार्ड सिरेंडर का अभियान शुरू किया गया, वैसे ही तमाम सच अब सामने आने लगे हैं।

आपको बता दें कि इन दिनों पूरे प्रदेश में अपात्र लोगों के राशन कार्ड विभाग में जमा करवाये जा रहे हैं। जब राज्य मंत्री ने इस संबंध में मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी दी तो सालों से गरीबों का राशन डकारने वाले लोगों ने माना कि वह अपात्र हैं और अब तक जो राशन वह खाते आ रहे हैं, उस पर प्रथम हक गरीबों का है।

बताना चाहेंगे कि प्रदेश में गत दिवस शनिवार तक 8312 परिवारों के कार्ड सरेंडर हुए हैं। जिसके बाद यह साफ हो गया है कि सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेताओं के माध्यम से गरीबों को मुफ्त व बहुत कम कीमत पर मिलने वाले राशन को सरकारी सेवारत शिक्षक, बैंक के कर्मचारी, सेना में नौकरी करने वाले और बड़े व्यवसायी भी खाते आ रहे हैं।

विभाग की एक रिपोर्ट की मानें तो 05 लाख से अधिक की वार्षिक आय वाले 825 आयकरदाता भी सरकारी राशन की दुकानों से सस्ता राशन लेते मिले हैं। चलिए आपको बताते हैं कि कहां कितने ऐसे कार्ड अब तक सिरेंडर हुए हैं।

जानकारी के अनुसार 187 in Dehradun, 81 in Tehri Garhwal, 19 in Haridwar, 33 in Almora सहित विभिन्न जिलों के कई आयकरदाताओं ने अपने राशन कार्ड सरेंडर किए हैं, जबकि अंत्योदय के 491 और प्राथमिक परिवारों के 6996 राशन कार्ड सरेंडर हुए हैं। इधर विभागीय सूत्रों के अनुसार टॉल ​फ्री नंबर पर भी लगातार ​लोग राशनकार्ड को लेकर जानकारी ले रहे हैं और मुफ्त का राशन डकारने वाले अपात्र लोगों की शिकायत भी कर रहे हैं।

यह भी उल्लेखनीय है कि खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग की ओर से प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने व वसूली की चेतावनी पर एक के बाद एक राशन कार्ड सरेंडर हो रहे हैं। मसला यह भी है कि अंत्योदय व प्राथमिक परिवारों के कार्ड वर्षों पहले बने हैं। बाद में कई लोग सरकारी नौकरी तक पा गए। पारिवारिक स्थिति सुधरने के बाद भी परिवारों ने राशन कार्ड नहीं छोड़ा। ऐसे में वास्तविक जरूरतमंदों को राशन कार्ड जारी नहीं हो पाए।

सूत्रों के अनुसार पारिवारिक स्थिति में सुधार के बाद लोग सस्ता गल्ला का चावल, गेहूं नहीं खाते। महंगा चावल व ब्रांडेड आटा घर पर आता है। जबकि दो से तीन रुपये किलो में मिलने वाला सरकारी राशन घर पर काम करने वाली या किसी दूसरे जरूरतमंद को बाजार रेट से कम दर पर बेच दिया जाता है। गल्ला विक्रेताओं के जरिये ऐसी शिकायतें विभागीय अधिकारियों तक भी पहुंची हैं।

सरकारी राशन को लेकर प्रदेश में यह हैं मानक —

⏩ सालाना 1.80 लाख तक पारिवारिक आय वाले परिवार प्राथमिक परिवार के दायरे में आते हैं। ऐसे परिवारों को प्रति यूनिट पांच किलो खाद्यान्न मिलता है।

⏩ अंत्योदय में गंभीर बीमार, एकल महिला-पुरुष के अलावा 48 हजार रुपये वार्षिक आय वाले परिवारों को प्रति माह 35 किलो राशन मिलता है।

⏩ सालाना पांच लाख तक आय वाले परिवारों को राज्य खाद्य सुरक्षा योजना से तहत प्रति परिवार 7.5 किलो राशन देय है।

⏩ यदि कोई राशन कार्ड से संबंधित जानकारी लेना चाहे तो टोल फ्री नंबर 1967 पर शिकायत व जानकारी के ली जा सकती है।

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