अल्मोड़ा मेडिकल हॉल में पहुंचे नामी gestrointlogist डा. चक्रवर्ती

👉 एक दिनी कैंप लगाया, दर्जनों लोगों ने लिया परामर्श व उपचार👉 बोले, पेट व लीवर के सामान्य रोगों का समय पर इलाज जरूरी सीएनई…

अल्मोड़ा मेडिकल हॉल में पहुंचे नामी gestrointlogist डा. चक्रवर्ती

👉 एक दिनी कैंप लगाया, दर्जनों लोगों ने लिया परामर्श व उपचार
👉 बोले, पेट व लीवर के सामान्य रोगों का समय पर इलाज जरूरी

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: आज रविवार को अल्मोड़ा मुख्य बाजार में स्थित नामी प्रतिष्ठान ‘द मेडिकल हॉल’ के परिसर में हल्द्वानी स्थित ujala ignys के कार्यरत पेट व लीवर रोग के नामी चिकित्सक डा. सचिन चक्रवर्ती (gestrointlogist) ने परामर्श एवं उपचार कैंप लगाया। जिसमें लीवर व पेट संबंधी समस्याओं से ग्रसित करीब 35 लोगों ने चेकअप कराकर उपचार लिया।

एक मुलाकात में डा. चक्रवर्ती ने बताया कि पहाड़ में समय पर जांच व उपचार पर ध्यान नहीं दिए जाने से कई बार सामान्य रोग भी गंभीर रुप धारण कर लेते हैं। उनका प्रयास है कि लोगों को समय पर जागरूक किया जाए। उन्होंने बताया कि पर्वतीय हिस्सों से पेट व लीवर संबंधी रोगों से ग्रसित लोगों में से करीब 50 प्रतिशत लोग उनके पास पहुंचते हैं। उनका कहना है कि पहाड़ अपेक्षाकृत ठंडे होते हैं और ऐसी तासीर में जागरूकता के अभाव में लोग खानपान पर विशेष ध्यान नहीं देते या गरिष्ठ भोजन ले लेते हैं। यहीं से पेट में गैस की समस्या, लीवर, पीलिया, काला पीलिया, लीवर की खराबी आदि से व्यक्ति पीड़ित होने लगते हैं। उनका कहना है कि यूं तो इनका इलाज साधारण है, मगर जागरूकता नहीं होने लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते या समय पर इलाज नहीं कराते। ऐसे में ये साधारण बीमारियां भी कई बार गंभीर बन जाती हैं। पेट का रोगों का मानसिक स्वास्थ्य से संबंध के बारे में डा. चक्रवर्ती ने कहा कि आयरन की कमी हो या आयरन पच नहीं रहा हो या पेट खराब रहता हो। इसके साथ यदि पीड़ित व्यक्ति डिप्रेशन में हैं या उसे एंजाइटी है, तो ऐसी स्थिति में मानसिकता व पेट के रोगों का संबंध गहरा हो जाता है।

डा. चक्रवर्ती ने बताया कि लीवर जनित बीमारियों के लक्षणों में आंखों में पीलापन आना, पेट में पानी भरना, पेट में लीवर के समीप पेट में दर्द होना, पैरों में सूजन आना है और ऐसे लक्षण दिखने पर पेट की जांचें जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में पहले सीवीसी, एलएफटी, अल्ट्रासाउंड व शुगर आदि साधारण जाचें करनी चाहिए और इलाज लेना चाहिए। यदि इसके बाद भी मरीज की तकलीफ दूर नहीं हो रही हो, तो आगे की जांचें करानी जरूरी हो जाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि परिवार में किसी सदस्य को काला पीलिया हो, तो परिवार के अन्य सदस्यों की भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि काला पीलिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो सकता है। खानपान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह अलग—अलग मरीजों, बीमारियों व शारीरिक स्थितियों पर निर्भर करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *