पीएसएलवी-सी55 ने सिंगापुर के दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक स्थापित किया

श्रीहरिकोटा | आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी-सी55 रॉकेट ने शनिवार को सिंगापुर के दो उपग्रहों को लेकर उड़ान…

श्रीहरिकोटा | आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी-सी55 रॉकेट ने शनिवार को सिंगापुर के दो उपग्रहों को लेकर उड़ान भरी और उन्हें निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।

सिंगापुर के दो उपग्रहों को लेकर आज इसरो के पीएसएलवी-सी55 रॉकेट ने यहां स्थित अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। यह जानकारी इसरो ने दी। यह रॉकेट समर्पित वाणिज्यिक मिशन के तहत न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के माध्यम से प्राथमिक उपग्रह के रूप में ‘टेलीओएस-2′ और सह-यात्री उपग्रह के रूप में ‘ल्यूमलाइट-4′ को लेकर रवाना हुआ और दोनों उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थपित कर दिया। दोनों उपग्रह समुद्री सुरक्षा और मौसम की जानकारी देंगे।

पीएसएलवी कोर अलोन वैरिएंट रॉकेट 741 किलोग्राम सिंथेटिक एपर्चर रडार सैटेलाइट टीएलईओएस-2 को प्राइमरी पैजेंसर के रूप में और को-पैजेंसर के रूप में 16 किग्रा ल्यूमिलाइट-4, एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन नैनो सैटेलाइन ने दोपहर 2.20 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के पहले लॉन्च पैड से उड़ान भरी। इन उपग्रहों को 586 किमी पूर्व की ओर कम झुकाव वाली कक्षा में स्थापित किया गया।

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण केंद्र में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा मिशन सफल रहा और दोनों उपग्रहों को पूर्व की ओर निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इस लॉन्चिंग के बाद 1999 के बाद से 36 देशों से संबंधित ऑर्बिट में भेजे जाने वाले विदेशी सैटेलाइट की संख्या बढ़कर 424 पहुंच गई है। आज सिंगापुर की इन दो सैटेलाइट के अलावा, सात गैर-वियोज्य प्रायोगिक पेलोड हैं जो रॉकेट के अंतिम चरण (पीएस 4) का हिस्सा हैं।

यह 228 टन वजनी 444 मीटर लंबा पीएसएलवी-सी55 रॉकेट धीरे-धीरे पहले लॉन्चपैड से आसमान की ओर बढ़ा। रोलिंग थंडर साउंड का उत्सर्जन करते हुए रॉकेट ने गति प्राप्त की। पीएसएलवी रॉकेट वैकल्पिक रूप से ठोस (पहले और तीसरे चरण) और तरल (दूसरे और चौथे चरण) ईंधन द्वारा संचालित होता है।

इसरो के अनुसार, टीएलईओएस-2 सैटेलाइट डीएसटीए (सिंगापुर सरकार का प्रतिनिधित्व) और एसटी इंजीनियरिंग के बीच एक साझेदारी के तहत विकसित किया गया है। इसरो ने कहा, टीएलईओएस-2 में सिंथेटिक एपर्चर रडार पेलोड है। इसरो ने कहा कि टीएलईओएस-2 सभी मौसम में दिन और रात कवरेज प्रदान करने में सक्षम होगा और एक मीटर फुल पोलरिमेट्रिक रिजॉल्यूशन पर इमेजिंग करने में सक्षम होगा। ल्यूमलाइट-4 को सिंगापुर के इंफोकॉम रिसर्च इंस्टीट्यूट (आई2आर) और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के सैटेलाइट टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर (स्टार) ने एक साथ मिलकर बनाया है।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि ल्यूमिलाइट-4 एक एडवांस 12यू सैटेलाइट है, जिसे हाई-परफॉर्मेस स्पेस बोर्न वीएचएफ डेटा एक्सचेंज सिस्टम (वीडीईएस) के तकनीकी प्रदर्शन के लिए विकसित किया गया है।

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