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खुशखबरी : आईआईटी रुड़की व एम्स ​ऋषिकेश का ज्वाइंट क्रिएशन पोर्टेबल वेंटिलेटर अब देश भर में बचाएगा कोरोना मरीजों की जान

ऋषिकेश। विश्वव्यापी कोविड—19 के प्रकोप के मद्देनजर मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या के सापेक्ष वेंटिलेटर सिस्टम्स की अनुपलब्धता के चलते एम्स ऋषिकेश व आईआईटी रुड़की के संयुक्त प्रयासों से तैयार किए गए प्राणवायु पोर्टेबल वेंटिलेटर सिस्टम का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में परीक्षण सफल रहा। कोविड—19 के साथ—साथ अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों में इसके परीक्षण के बाद एम्स संस्थान ने इसे मेडिकल तकनीक के आधार पर सफल बताया है। अब यह वेंटिलेटर देशभर के सभी मेडिकल संस्थानों में मरीजों की सुविधा के लिए उपलब्ध हो सकेगा।
एम्स ऋषिकेश द्वारा आईआईटी रुड़की के साथ मिलकर तैयार किया गया प्राणवायु पोर्टेबल वेंटिलेटर सिस्टम का उपयोग अब जरुरतमंद मरीजों की जीवनरक्षा के लिए किया जा सकेगा।
एम्स संस्थान की विश्वस्तरीय एडवांस सिमुलेशन लैब में विशेषज्ञों की निगरानी में किए गए परीक्षण के बाद एम्स संस्थान ने मेडिकल व तकनीकि की दृष्टि से इस पोर्टेबल सिस्टम को सफल करार दिया है। लिहाजा अब यह प्राणवायु पोर्टेबल वेंटिलेटर सिस्टम का मेडिकल के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जा सकेगा,जिससे कोविड19 के साथ ही अन्य सभी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को लाभ मिलेगा। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के विश्वव्यापी प्रकोप के मद्देनजर एम्स संस्थान ने कम लागत वाले प्राणवायु पोर्टेबल वेंटिलेटर को इसी साल अप्रैल-2020 में आईआईटी रुड़की के सहयोग से तैयार किया था। शोध के बाद इस तकनीक को विकसित करने वाली टीम में आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी व प्रो. अरूप दास के साथ ही एम्स ऋषिकेश के एनेस्थिसिया विभाग के प्रो. देवेंद्र त्रिपाठी शामिल थे।
इस अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि यह वेंटिलेटर ऐसे आपातकाल के समय विकसित किया गया है जब कोविड19 जैसी वैश्विक महामारी का दौर चल रहा है और कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के सापेक्ष उनके उपचार के लिए देश में वेंटिलेटर सिस्टम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश व आईआईटी रुड़की की यह संयुक्त उपलब्धि निसंदेह न सिर्फ कोरोना संक्रमित वरन अन्य तरह के गंभीर अवस्था वाले रोगियों का जीवन बचाने के लिए वरदान साबित होगी। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने इस वेंटिलेटर सिस्टम को विकसित व परीक्षण करने वाली चिकित्सकीय टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। उन्होंने बताया कि आईआईटी रुड़की की लैबोरेट्री में तकनीकि के लिहाज से प्राणवायु वेंटिलेटर सिस्टम को कई चरणों में परखा जा चुका है, लिहाजा गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों में किए गए चिकित्सीय परीक्षण में यह सिस्टम फिट पाया गया है।
इसके अलावा उत्तर भारत में विश्व स्तरीय तकनीक की एडवांस एचपीएस-3 सिमुलेशन लैब से सुसज्जित एम्स ऋषिकेश में भी इस सिस्टम का परीक्षण सफल रहा है। प्राणवायु वेंटिलेटर विकसित करने वाली टीम के सदस्य व एम्स ऋषिकेश के एनेस्थिसिया विभाग के प्रो. देवेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि इस सिस्टम का कई बीमारियों में चिकित्सकीय परीक्षण किया गया है। जो कि ह्यूमन सिमुलेटर आधारित था। उन्होंने इस वेंटिलेटर को कोविड एआरडीएस के उपचार में भी अति लाभकारी बताया। उन्होंने बताया कि इसके अलावा इस सिस्टम को अस्थमा, श्वास और पैरालाॅयसिस के रोगियों के लिए भी जीवन रक्षक प्रणाली के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है। इस दौरान परीक्षण करने वाली चिकित्सीय टीम में डा. पुनीत धर, डा. यशवंत पाठक, डा. मधुर उनियाल, डा. प्रवीन तलवार और डा. सुब्रह्बण्यम शामिल थे।

यह है पोर्टेबल वेंटिलेटर सिस्टम प्राणवायु की विशेषता
कोविड एआरडीएस के उपचार की दृष्टि से अत्यधिक लाभकारी इस वेंटिलेटर को निहायत कम लागत में तैयार किया जा सकता है। अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाओं से सुसज्जित प्राणवायु वेंटिलेटर सिस्टम स्वचालित प्रक्रिया से सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को नियं​त्रित करता है। आईसीयू में भर्ती मरीजों के लिए यह वेंटिलेटर जीवन रक्षक के तौर पर मददगार साबित होगा। इसे तैयार करने वाली टीम ने इसकी शुरुआती कीमत करीब 25 से 30 हजार आंकी है, जबकि बाजार में उपलब्ध अन्य वेंटिलेटर की कीमत करीब 8 से 10 लाख रुपए है।

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