ALMORA NEWS: दृश्यकला संकाय में राष्ट्रीय ऐपण कार्यशाला शुरू, कला को कोई अंत नहीं, इसे समझने की जरूरत है—प्रो.पोखरिया

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा यहां सोबन सिंह जीना परिसर में दृश्यकला संकाय एवं चित्रकला विभाग के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय ऐपण कार्यशाला शुरू हो गई है।…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

यहां सोबन सिंह जीना परिसर में दृश्यकला संकाय एवं चित्रकला विभाग के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय ऐपण कार्यशाला शुरू हो गई है। तीन दिन चलने वाली इस कार्यशाला में ‘हमारी लोक विरासत, हमारी अमूल्य धरोहर’ विषय पर मंथन हो रहा है और उद्घाटन में वक्ताओं ने कहा कि कला को कोई अंत नहीं है। इसे समझने की जरूरत है। इसमें ऐपण व पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन भी होगा।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. देव सिंह पोखरिया ने कहा कि हमारी धरोहरों को कला के माध्यम से बचाने के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि कलाओं का कोई अंत नहीं है और कला को बचाने में महिलाओं का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि ऐपण कला के माध्यम से कुमाऊं को विश्व स्तरीय पहचान मिली है। उन्होंने प्रदर्शनी की संयोजक और दृश्यकला संकाय को कला को आगे बढ़ाने के​ लिए प्रोत्साहित किया।
विशिष्ट अतिथि क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी एवं क्षेत्रीय प्रभारी, लोककला संस्थान, अल्मोड़ा डॉ. चंद्र सिंह चौहान ने कहा कि कला विधा किसी से छुपी नहीं है। कला का अपना विशेष महत्त्व है। बस इसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संस्कृति विभाग लोककलाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम कर रहा है। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कला संकायाध्यक्ष प्रो. पुष्पा अवस्थी ने कहा कि कला के संरक्षण के लिए आर्थिक सहयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि साहित्य, कला और संगीत मनुष्य को मनुष्यता प्रदान करने वाले कारक हैं, इनके बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। कला सर्वत्र व्याप्त है। यहां तक कि शास्त्रों में भी 64 कलाओं का उल्लेख है। उन्होंने कलाकार का आह्वान किया कि अपने चित्रों के जरिये समाज की समस्याओं को उजागर करें।
शुरूआत में दृश्य कला संकाय के डॉ. सोनू द्विवेदी ने प्रदर्शनी से संबंधित विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। इससे पूर्व अतिथियों ने मां सरस्वती चित्र पर पुष्पार्पण कर कार्यशाला व प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और दृश्यकला संकाय के छात्रों ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत, लोकगीत प्रस्तुत किए। इस मौके पर डॉ. ममता असवाल, डॉ. ललित चंद्र जोशी, कौशल कुमार, रमेश मौर्य, चंदन आर्य, संतोष मेर, जीवन जोशी, पूरन मेहता, नाजिम अली आदि शिक्षक, छात्र और कर्मचारी शामिल हुए।

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